नाबालिग की जिंदगी को बना दिया था नरक, अब जेल में गुजरेगी जिंदगी Jamshedpur News
पूरे झारखंड को झकझोर देने वाले नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में जमशेदपुर की अदालत ने दुष्कर्मी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
जमशेदपुर, जेएनएन। नाबालिग की जिंदगी को नरक बनाने वाले शख्स को आखिकार किए की सजा मिल गई है। अब उसकी पूरी जिंदगी जेल के गुजरेगी। पूरे झारखंड को सिहरन से भर देने वाले दुष्कर्म कांड में जमशेदपुर की अदालत ने दोषी उदय गागराई को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
बुधवार को दोषी करार दिए उदय गागराई को जिला अपर व सत्र न्यायाधीश सुभाष की अदालत ने गुरुवार को आजीवन कारावास के साथ 25 हजार जुर्माना की सजा भी सुनाई। जुर्माना नहीं देने पर सजा छह माह बढ़ा दी जाएगी। बीमार रहने के कारण उदय कोर्ट नहीं आया जिसके कारण उसकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में कराई गई। उसे सजा की जानकारी दी गई।
कोर्ट के आदेश पर हुआ था गर्भपात
सिदगोड़ा थाना में 30 अगस्त 2017 को आरोपित के खिलाफ दुष्कर्म और पोस्को एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। वह दो बच्चों का पिता है। पीडि़ता की मां ने गर्भपात कराने के लिए झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर 12 साल की पुत्री को गर्भपात कराने की अनुमति देने की देने की मांग की थी। अस्पताल कानून का हवाला देकर गर्भपात नहीं कर रहे हैं। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की कोर्ट में दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई 12 साल की नाबालिग के गर्भपात की मांग वाली याचिका पर 13 अक्टूबर 2017 को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने इस मामले में सरकारी वकील राजीव रंजन मिश्रा को निर्देश दिया था कि वे स्वास्थ्य सचिव से बात कर मेडिकल बोर्ड का गठन कराएं। मेडिकल बोर्ड नाबालिग की जांच कर इस बात की रिपोर्ट देगी कि क्या इस समय बच्ची का गर्भपात कराया जा सकता है नहीं? इसके बाद कोर्ट की सुनवाई दूसरी पाली तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
चार सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने की थी जांच
दूसरी पाली में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील राजीव रंजन मिश्रा ने कोर्ट को सूचित किया कि स्वास्थ्य सचिव ने इस मामले में जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल के प्राचार्य को पत्र लिखकर मेडिकल बोर्ड गठन करने का निर्देश दिया था। पत्र में यह भी कहा गया था कि 13 अक्टूबर की शाम पांच बजे तक जांच रिपोर्ट भेजना सुनिश्चित करें। राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव के निर्देश पर चार सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने नाबालिग की स्थिति की जांच की थी। जिसपर कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले में सरकारी वकील को जैसे ही जांच रिपोर्ट प्राप्त होगी वे तुरंत कोर्ट को इससे अवगत कराएं। मेडिकल बोर्ड की टीम में एमजीएम अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक भारतेंदु भूषण, अंजली श्रीवास्तव, डाक्टर ललन चौधरी समेत अन्य शामिल थे। हाईकोर्ट को टीम ने रिपोर्ट दी। देर शाम तक कोर्ट बैठी रही।
रविवार को बैठी थी अदालत
पीडि़ता के अधिवक्ता रंजनधारी सिंह ने बताया कि पूरे मामले में सबसे एतिहासिक यह रहा कि 15 अक्टूबर 2017 को रविवार होने के बावजूद भी हाईकोर्ट के जस्टिस देर शाम तक बैठे और गर्भपात कराने का निर्णय लिया।
एमजीएम की रिपोर्ट को खारिज कर रिम्स में हुआ था गर्भपात
कोर्ट ने एमजीएम अस्पताल के चिकित्सकों की टीम की मेडिकल रिपोर्ट को 14 अक्टूबर को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को सरकार के अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्र ने अदालत को सौंपा। रिपोर्ट के अध्ययन के बाद यह निर्णय लिया गया कि क्लिनिकल व अल्ट्रासोनोग्राफिक के आधार पर 17 अक्टूबर 2017 को रिम्स में पीडि़ता का गर्भपात कराया जाय।
प्रशासन ने कराया था डीएनए टेस्ट
जमशेदपुर के उपायुक्त और एसएसपी को आदेश दिया गया था कि सरकारी खर्चे पर पीडि़ता व उसके परिजनों को 16 अक्टूबर 2017 को रिम्स पहुंचाया जाए। पीडि़ता के स्वास्थ्य होकर घर जाने तक का खर्च सरकार को वहन करने निर्देश दिया था। कोर्ट ने बच्ची के इलाज के दौरान उसके परिजनों को रांची में ठहरने की व्यवस्था सरकार को करने का आदेश दिया था। साथ ही गर्भपात के बाद भ्रूण को संरक्षित कर फॉरेंसिक लेबोरेटरी भेजने को कहा, ताकि उसका डीएनए टेस्ट कराया जा सके।
बच्ची से दुष्कर्म और हत्या में सुनाई गई थी फांसी की सजा
इससे पहले बागबेड़ा संजयनगर में दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या फिरंगी पासवान ने कर दी थी। मामले में आरोपित को जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में मामले में आरोपित की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी गई।