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जमशेदपुर में लिट्टी चौक से भिलाई पहाड़ी तक सिग्नेचर ब्रिज इसी वर्ष

भुइयांडीह के लिट्टी चौक से एनएच-33 (भिलाई पहाड़ी) तक पुल बनेगा। यह जमशेदपुर का सिग्नेचर ब्रिज होगा। इसकी योजना की अंतिम स्वीकृति इसी वित्तीय वर्ष दी जाएगी।

By Edited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 07:15 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 01:10 PM (IST)
जमशेदपुर में लिट्टी चौक से भिलाई पहाड़ी तक सिग्नेचर ब्रिज इसी वर्ष
जमशेदपुर में लिट्टी चौक से भिलाई पहाड़ी तक सिग्नेचर ब्रिज इसी वर्ष

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  भुइयांडीह के लिट्टी चौक से एनएच-33 (भिलाई पहाड़ी) तक पुल बनेगा। यह जमशेदपुर का सिग्नेचर ब्रिज होगा। इसकी योजना की अंतिम स्वीकृति इसी वित्तीय वर्ष दी जाएगी।  पथ निर्माण विभाग (झारखंड) के सचिव केके सोन ने कहा कि जमशेदपुर में यातायात को सुगम बनाने के लिए कई स्तर पर काम किया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि गोविंदपुर में एलीवेटेड कॉरिडोर और बागबेड़ा में बड़ौदा घाट से आदित्यपुर को जोड़ने वाले पुल पर भी काम चल रहा है। जुगसलाई में रेल फाटक पर बन रहे ओवरब्रिज का अधिकांश काम हो चुका है, कुछ काम बचा है, वह भी जल्द पूरा हो जाएगा। इसके अलावा यातायात को सुगम बनाने के लिए रास्तों पर जगह-जगह साइनेज लगाए जाएंगे, जिससे किसी को रास्ता पूछने के लिए भटकना नहीं पड़े। शास्त्रीनगर में खरकई नदी के किनारे बनने वाले मेरीन ड्राइव और इसकी जद में आ रहे घरों के टूटने की बात पर सचिव ने कहा कि हम नहीं चाहते कि किसी को नुकसान हो। इसके बावजूद यदि कहीं आधारभूत संरचना का निर्माण हो रहा है तो उसे पूरा करने में नागरिकों को भी सहयोग करना चाहिए। आखिर उस संरचना की जरूरत सबको है।  

मानकी-मुंडा को लगान वसूलने का अधिकार

राजस्व सचिव केके सोन ने मानकी-मुंडा पर पूछे गए सवाल पर कहा कि सरकार इन्हें पूरा सम्मान देती है। अपने इलाके में इन्हें लगान (मालगुजारी) वसूलने और रसीद काटने का अधिकार है। सरकार ने मानकी-मुंडा, माझी-परगना, डाकुआ आदि का मानदेय दोगुना कर दिया है। जहां मानकी-मुंडा नहीं हैं, वहां यही अधिकार ग्राम प्रधान को है। ये सभी राजस्व संबंधी कार्य करते हैं। कोल्हान में वर्षो से यह व्यवस्था चली आ रही है। इसमें कहीं कोई बाधा नहीं है।

सीमा विवाद विचाराधीन

राजस्व सचिव ने कहा कि झारखंड-बंगाल और झारखंड-ओडिशा के बीच कुछ गांवों को लेकर सीमा विवाद है। लंबे समय से यह अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में विचाराधीन हैं। समय-समय पर इसे लेकर वार्ता भी होती है। कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें सुलझने में वक्त लगता है।

लखाईडीह का एक लड़का आइएएस बनने की ओर

केके सोन ने कहा कि जब वे आज से 20 वर्ष पहले प्रशिक्षु आइएएस के रूप में पूर्वी सिंहभूम जिला आए थे, तो डुमरिया स्थित लखाईडीह गांव गए थे। तब वहां सड़क भी नहीं थी। उन्होंने वहां चल रहे एक स्कूल की स्थिति सुधारने की पहल की। आज वहां का एक लड़का यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास कर चुका है। वह दिल्ली में पढ़ रहा था, जबकि उनमें से दो किट्स भुवनेश्वर और रांची में पढ़ रहे हैं। केके सोन बुधवार को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव आराधना पटनायक के साथ लखाईडीह गए थे। वे डुमरिया के कस्तूरबा विद्यालय भी गए थे। वहां छात्राओं से मिलकर उनकी समस्या जानने का प्रयास किया। जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन की मदद से उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

जल संचयन बहुत जरूरी

झारखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग व राजस्व विभाग के सचिव केके सोन ने कहा वे बुधवार को लखाईडीह गए थे। वहां जल संचयन व जल संरक्षण के लिए श्रमदान किया। वहां पानी की दिक्कत है। पानी संचयन पर काम नहीं करेंगे, तो आगे ज्यादा दिक्कत होगी।


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