शिलान्यास के बीते छह माह, एक इंच भी न बढ़ा एयरपोर्ट का काम Jamshedpur News
सांसद विद्युत वरण महतो ने लोकसभा में धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के निर्माण में हो रहे विलंब का मामला उठाया। एयरपोर्ट का शिलान्यास 24 जनवरी को किया गया था।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। सांसद विद्युत वरण महतो ने बुधवार को लोकसभा में धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के निर्माण में हो रहे विलंब का मामला उठाया। एयरपोर्ट का शिलान्यास 24 जनवरी को किया गया था। 18 महीने में इस एयरपोर्ट को ऑपरेशनल बनाने का दावा भी उस समय किया गया था, लेकिन शिलान्यास के छह माह होने जा रहे इस एयरपोर्ट के निर्माण को एक इंच भी काम आगे नहीं बढ़ा।
संसद में विद्युत वरण महतो ने मंगलवार को इस मामले को शून्य काल के तहत उठाया था तो बुधवार को नियम 377 के तहत पुन:उठाया। लोकसभा में विद्युत ने कहा कि जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र ऐसा है जहां पर हजारों औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं। प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा उपलब्ध है। यहा टाटा जैसे बड़े उद्योग होने के कारण देश के विभिन्न भागों से लोग रोजगार हेतु यहा निवास करते हैं। उनका आना-जाना हमेशा बना रहता है। कोल्हान प्रमंडल का केंद्र बिंदु जमशेदपुर होने के कारण विकास की भारी संभावनाएं हैं। भारी मात्रा में यहां निर्मित उपकरणों का आयात-निर्यात होता है। इससे देश विदेश के बड़े-बड़े व्यापारियों का भी आना-जाना हमेशा बना रहता है।
एयरपोर्ट न होने से रुका विकास
सांसद ने संसद में कहा कि एयरपोर्ट की सुविधा ने होने के कारण पूरे कोल्हान प्रमंडल का विकास रुका हुआ है। यहा पर खनिज संपदा उपलब्ध होने के कारण देश विदेश से निवेशक निवेश हेतु आते हैं, लेकिन एयरपोर्ट की सुविधा नहीं होने के कारण वे लौट जाते हैं। इसके अलावा यहा के उद्योग जगत के लोगों को भी एयरपोर्ट नहीं होने से असुविधाएं हो रही हैं।
शीघ्र शुरू किया जाए एयरपोर्ट का निर्माण
ज्ञातव्य है कि 1942 के द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पूर्वी सिंहभूम के धालभूमगढ़ एवं चाकुलिया में दो बड़े एयरपोर्ट का निर्माण किया गया था जो आज पूरी तरह से खाली हैं और प्रयोग में नहीं हैं। राज्य सरकार ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के जनहित में सदुपयोग हेतु केंद्र सरकार से एनओसी लेने हेतु सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद लगभग छह महीने पहले मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने शिलान्यास किया था। लेकिन, अभी तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। विद्युत ने विभागीय मंत्री से माग की कि अविलंब धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाए।
100 करोड़ खर्च कर पहले चरण में ऑपरेशनल बनाया जाना था एयरपोर्ट
- 40 एकड़ में फैले धालभूमगढ़ एयरपोर्ट को फिर से उड़ान भरने लायक बनाने की है योजना
- 200 करोड़ खर्च कर दूसरे चरण में इसे विस्तार देने की बनी थी
- योजना
- 72 सीटर विमान सेवा पहले चरण का काम पूरा होने के बाद की जानी थी शुरू
- 320 सीटर विमान दूसरे चरण का काम पूरा होने के बाद यहां से भरते उड़ान
- एयरपोर्ट का इतिहास : अंग्रेजों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान चीन-बर्मा क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए बंगाल की सीमावर्ती क्षेत्रों में चार एयरबेस बनाए थे। पूर्वी सिंहभूम में धालभूमगढ़ व चाकुलिया और पश्चिम बंगाल में झाड़ग्राम के दुधकुंडी व खड़गपुर के कलाइकुंडा में। इनमें कलाइकुंडा में एयरफोर्स का बेस इस्तेमाल में है। धालभूमगढ़ में यह हवाईपंट्टी आज भी सलामत है, लेकिन उपयोग में नहीं है। यह ब्रिटिशकालीन रनवे के अंश आज भी देखे जा सकते हैं। बीहड़ जंगल और दुर्गम रास्ते के कारण अंग्रेजों ने चाकुलिया एयरबेस को गुप्त रखा था पर धालभूमगढ़ हवाई पंट्टी तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।