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डॉ आशा श्रीवास्तव की पुस्तक सफर श्रृंखला का विमोचन

डॉ आशा श्रीवास्तव की पुस्तक सफर श्रृंखला का लोकार्पण किया गया किया गया। पुस्तक में साहित्य, संस्कृति और प्रकृति को जोड़ा गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 04:15 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 04:15 PM (IST)
डॉ आशा श्रीवास्तव की पुस्तक सफर श्रृंखला का विमोचन
डॉ आशा श्रीवास्तव की पुस्तक सफर श्रृंखला का विमोचन

जमशेदपुर,जेएनएन। यूनाइटेड क्लब के दीवाने खास सभागार में डॉ आशा श्रीवास्तव की पुस्तक सफर श्रृंखला का लोकार्पण किया गया किया। इस मौके पर स्वागत भाषण डॉ जुही समर्पिता ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी से लड़ते हुए डॉ आशा श्रीवास्तव का इस किताब को लिखना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। उन्‍होंने डॉ आशा श्रीवास्तव के पति और पुत्र आकाशदीप की भी इस पुस्तक लेखन में सहयोग करने के लिए सराहना की।

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बतौर मुख्य वक्ता डॉ रागिणी भूषण ने कहा कि कहीं की भी यात्रा करना अपने आप में बहुत कुछ जानने और समझने का अवसर प्रदान करता है। मगर उन यात्राओं को किताब की शक्ल देना अपने आप में बहुत गंभीर काम है। यह काम आशा श्रीवास्तव ने किया है। पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस पुस्तक के द्वारा उन्होंने साहित्य, संस्कृति और प्रकृति को जोड़ा है। विदेश यात्रा का संस्मरण और यात्रा वृतांत का संकलन है यह पुस्तक। भारत का जिक्र हर जगह मिलता है। कविता के माध्यम से अपनी भावनाओं को कई जगह उन्होंने अभिव्यक्त किया है। संवेदनशील और साहित्यिक हृदय ही इतनी सुंदर यात्रा लेखन कर सकता है।

जिंदगी से जुड़ा संस्मरण : डॉ सी भास्कर राव

विशिष्ट वक्ता डॉ सी भास्कर राव ने कहा कि इस कार्यक्रम में शिरकत करना अच्छा लग रहा है। उनके साथ मंच पर एक ओर गुरुदेव त्रिभुवन ओझा हैं तो दूसरी ओर बहन आशा श्रीवास्तव हैं। और साथ में उनकी छोटी बहन रागिणी भूषण हैं । उन्‍होंने कहा कि यह एक ज़िन्दगी से जुड़ा संस्मरण है। उन्होंने जीया है यात्रा को। आशा जी की पुस्तक बहुत उपयोगी पुस्तक होगी उनके लिए को पहली बार यूरोप यात्रा कर रहे हैं। जमीन, जल, वायु के बीच रह कर आशा श्रीवास्तव ने यात्रा वृतांत लिखा है।

त्रिभुवन ओझा ने दिए आशीर्वचन

त्रिभुवन ओझा ने भी अपने आशीर्वचन दिए और कहा कि एक गृहणी ने साहित्य साधना कर के अपना अमूल्य योगदान दिया है। गुरु कृपा से ही यह संभव हो पाया। धन्यवाद ज्ञापन विद्या तिवारी ने किया और कहा कि यह महाकुंभ की तरह है जहां साहित्य, संगीत और मनीषियों की त्रिवेणी बह रही है। मंच संचालन मनीला ने किया। हावर्ड के प्रोफेसर आकाश दीप और उनके बेटे व्योम ने कबीर के दोहों की उत्तम प्रस्तुति की। इस कार्यक्रम में डॉ अरुण कुमार सज्जन, सहयोगी के सचिव विद्या तिवारी आदि भी उपस्थित थे।  


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