संदेह के घेरे में बाल सुधार गृह की कार्यप्रणाली
परसुडीह थाना अंतर्गत घाघीडीह स्थित बाल सुधार गृह में बुधवार क
विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर : परसुडीह थाना अंतर्गत घाघीडीह स्थित बाल सुधार गृह में बुधवार की देर रात बाल बंदी गौरव वर्मा ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से एक बार फिर बाल सुधार गृह की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। कहने को तो बाल सुधार गृह बाल बंदियों को सुधारने के लिए है लेकिन यहां की व्यवस्था ऐसी है जिसे देखकर यही कहा जा सकता है कि सुधार तो दूर की बात, बाल बंदी अपराध की ओर बढ़ें तो कोई आश्चर्य नहीं।
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2016 में सोनू राम ने की थी आत्महत्या, प्रशासन ने नहीं ली सीख इससे पहले 24 फरवरी 2016 को 14 वर्षीय सोनू राम ने शौचालय में कंबल के टुकडे़ के सहारे फांसी लगा खुदकशी कर ली थी। वह बिष्टुपुर थाना के धतकीडीह का रहने वाला था। उसे कदमा थाना की पुलिस ने मोबाइल चुराने के आरोप में 11 फरवरी 2016 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसके आत्महत्या की वजह मानसिक तनाव और पैर में घाव से परेशान होना बताया गया था। सोनू की मां ने बेटे की हत्या का आरोप लगाया था। काफी हंगामा हुआ, व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए, कई तरह के आरोप लगे लेकिन प्रशासन ने सीख नहीं ली। नतीजा यह रहा कि एक और जान चली गई।
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कभी पढ़ते थे बच्चे, अब ठप पड़ीं सुधार की गतिविधियां बाल सुधार गृह में बाल बंदियों को सुधारने के लिए उनकी पढ़ाई व व्यक्तित्व विकास से जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए किसी तरह की गतिविधि नहीं चलाई जाती। हालांकि इसके लिए एक विशेष कक्ष है जिसमें बच्चों को कई तरह के प्रशिक्षण व गतिविधियां संचालित करने की योजना थी। कभी यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए जिला शिक्षा परियोजना के सहयोग से दो शिक्षकों जुलेन सांघा व चंदन चटर्जी की व्यवस्था की गई थी। नृत्य संगीत सिखाने के लिए काकुली नाम की शिक्षिका भी नियमित आती थी। इन तीनों ने कई साल तक पारिश्रमिक नहीं मिलने पर वहां जाना छोड़ दिया। इस विशेष कक्ष में चार कंप्यूटर रखे गए हैं लेकिन अब इसमें ताला लगा रहता है।
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पहले भी उठते रहे व्यवस्था पर सवाल
इसके पूर्व भी बाल सुधार गृह की व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं। कुछ साल पहले खराब भोजन मिलने की शिकायत को लेकर बाल बंदियों ने काफी हंगामा किया था। सुधार गृह की गेट पर चढ़ गए और खाना छोड़ दिया था। बाल बंदियों के भागने की घटना भी हो चुकी है।
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कुछ तो गलत हो रहा, पड़ताल करे प्रशासन
बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के मुख्य संयोजक सदन कुमार ठाकुर का कहना है कि घाघीडीह स्थित बाल सुधार गृह में कुछ तो गलत हो रहा है जिस वजह से बाल बंदी आत्महत्या करने जैसा कदम उठा रहे हैं। मामले की तह में जाने पर ही पता चल सकता है। वहां कई ऐसे बंदी हैं जो दस्तावेजों में भले ही अवयस्क बताए जाएं लेकिन वास्तव में वयस्क हो चुके हैं। जघन्य अपराध करनेवाले बाल बंदी भी एक साथ रखे जाते हैं। सुरक्षाकर्मियों की हरकतों की भी जांच कराई जाए।