सांसत में मरीजों की जान, अस्पतालों में आग लगी तो होगा बड़ा नुकसान
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ईश्वर न करें, शहर के अस्पतालों में आग लगे। अगर किसी कारणवश आग
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ईश्वर न करें, शहर के अस्पतालों में आग लगे। अगर किसी कारणवश आग लगी तो उसपर नियंत्रणकर पाना काफी मुश्किल होगा। जबतक दमकल गाड़ी आएगी तबतक बड़ा नुकसान हो गया होगा। क्योंकि कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित अधिकांश नर्सिग होमों में आग से निपटने के लिए कोई माकूल व्यवस्था नहीं है।
एमजीएम में तीन जगहों हैं पर आग बुझाने के लिए सिलिंडर लगाए गए हैं, दुर्भाग्यवश ये तीनों एक्सपायरी डेट के हैं। जबकि यहां पर जब तब आग की छोटी घटनाएं होती रहती है। इस अस्पताल में प्रतिदिन हजारों की संख्या में आने वाले मरीजों के अलावा वार्ड में भर्ती मरीज व सैकड़ों कर्मचारी 24 घंटे रहते हैं। ऐसे में अगर आग लगी तो भगवान ही जाने क्या होगा। 629 बेड वाले एमजीएम अस्पताल में फायर सेफ्टी की सुविधा नहीं होने का संज्ञान हाई कोर्ट ने भी गंभीरता लिया था और सरकार से पूछा था कि अस्पतालों में आग लगने की स्थिति में निपटने के लिए क्या-क्या व्यवस्था है? इसमें बताया गया था कि कुछ-कुछ जगहों पर अग्निशमन यंत्र लगे जरूर हैं पर उसके माध्यम से आग पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। आधे से अधिक यंत्र खराब हो चुके हैं। वहीं एमजीएम में निरीक्षण करने आई मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम ने भी फायर सेफ्टी को लेकर नाराजगी जाहिर की थी और इसे लगाने का निर्देश दिया था। एमसीआइ की रिपोर्ट के अनुसार एमजीएम में फायर फाइटिंग की उचित सुविधा नहीं होने से मरीजों की जान हमेशा खतरे में रहती है। इसी वजह से एमजीएम अधीक्षक ने राज्य सरकार को अस्पताल में पाइप लाइन फायर वाला फाइटिंग सिस्टम (फायर हाइड्रेंट) लगाने के लिए पत्र लिखा था। अब यहां पाइपलाइन फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
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दो करोड़ रुपये की लागत से बनेगा फायर सेफ्टी सिस्टम
एमजीएम में हाइड्रेंट फायर सेफ्टी सिस्टम (पाइपलाइन फायर फाइटिंग सिस्टम) लगने जा रहा है। इसके लिए टेंडर करीब-करीब फाइनल हो चुका है। उम्मीद है कि जल्द ही इस सिस्टम को अस्पताल में स्थापित कर दिया जाएगा। यह फायर फाइटिंग सिस्टम एमजीएम की पुरानी बिल्डिंग व नई बिल्डिंग में लगाया जाएगा। इसे लेकर अग्निशमन विभाग के अधिकारी भी निरीक्षण कर चुके हैं। मशीन लगाने में दो करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा। अस्पताल में इसका खाका तैयार हो चुका है।
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सरेंडर हुई थी फायर सेफ्टी की रकम
फायर सेफ्टी के लिए पिछले साल सरकार ने एमजीएम को 80 लाख रुपये दी थी। इसके बाद टेंडर हुआ था। लेकिन, बाद में स्वास्थ्य विभाग ने इस पर एतराज कर दिया था। विभाग का कहना था कि बिना अग्निशमन विभाग से जांच कराए ही टेंडर निकाल दिया गया है। इसके बाद टेंडर रद कर दिया गया और रकम सरेंडर हो गई थी।
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अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम की सुविधा होनी चाहिए। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इसका पूरा सेटअप अस्पताल में स्थापित हो जाएगा।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।
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