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राज्य में खेल के साथ हो रहा खिलवाड़

टाटा स्टील कंपनी पहले खेल पर काफी ध्यान देती थी। खिलाड़ियों और खेल संघों की मदद करती थी, लेकिन अब वो भी हाथ खींच रही है। इस वजह से हालात बदतर होते जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 08:47 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 08:47 PM (IST)
राज्य में खेल के साथ हो रहा खिलवाड़
राज्य में खेल के साथ हो रहा खिलवाड़

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंड में खेल की हालत दिनों-दिन खराब होती जा रही है। सरकार के ध्यान नहीं देने से ऐसी स्थिति हुई है। टाटा स्टील कंपनी पहले खेल पर काफी ध्यान देती थी। खिलाड़ियों और खेल संघों की मदद करती थी, लेकिन अब वो भी हाथ खींच रही है। इस वजह से हालात बदतर होते जा रहे हैं। ये बातें बुधवार को दैनिक जागरण के सोलह साल-सोलह सवाल कार्यक्रम के तहत खेल पर हुई परिचर्चा में आए खेल के कोच व खिलाड़ियों ने कहीं।

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परिचर्चा में यह बात सामने आई कि सरकार में खेल के ऊंचे ओहदों पर सियासतदां काबिज हैं जिन्हें खेल की एबीसीडी भी नहीं आती। इस वजह से खेल का बंटाधार हो रहा है। झारखंड में खेल का बजट पर्याप्त नहीं है। झारखंड के साथ ही बने छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड खेल के मामले में काफी आगे निकल चुके हैं। कबड्डी के खेल के लिए प्रदेश में नेट उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार दो दिन का खेल समारोह करती हैं। एक दिन 10-15 मैच कराए जाते हैं। इसमें खिलाड़ियों की प्रतिभा सामने नहीं आ पाती। खेल टूर्नामेंट में कोर्ट के साथ आने को कहा जाता है। सरकार के पास खेलों के लिए मैट भी नहीं है। जमशेदपुर में पुटबाल का मैदान है ही नहीं। टीएफए के पास एक प्रैक्टिस ग्राउंड है। एथलीट के ग्राउंड पर ट्रैक बने होते हैं। लेकिन, मजबूरन इन ग्राउंड से काम चलाया जा रहा है। गोपाल मैदान में मेला लगने लगा है। एग्रिको में सियासी सभाएं होने से जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। शहर का खेल पहले काफी उन्नत था। लेकिन, कंपनी के पीछे हट जाने की वजह से हालात ठीक नहीं हैं। संघ से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि कबड्डी के एक टूर्नामेंट में टाटा स्टील हरियाणा से खिलाड़ी लाई। उससे कहा गया कि शहर के ही खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में खेलेंगे। तब से कंपनी ने इस टूर्नामेंट में किसी भी तरह की मदद बंद कर दी है। क्रीडा भारती के एक पदाधिकारी ने बताया कि अब सरकार खेल का एक विषय अनिवार्य करने जा रही है। छात्र की मार्कशीट में खेल के अंक जुड़ेंगे। इससे खेल को बढ़ावा मिलेगा।

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प्रदेश अमीर है लेकिन, यहां सरकार की अस्थिरता के चलते खेल का ज्यादा भला नहीं हो सका। इधर कुछ वर्षो में काम हुआ है। फिर भी आधारभूत संरचना का अभाव है। कबड्डी में नेट उपलब्ध नहीं है। कबड्डी के टूर्नामेंट में पहले टाटा स्टील काफी सहयोग करती थी लेकिन, अब उसने भी हाथ खींच लिया है।

गुरुमुख सिंह मुखे, अध्यक्ष जिला कबड्डी संघ

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आर्चरी महंगा खेल है। सरकार की तरफ से आर्चरी के खिलाड़ियों को कोई मदद नहीं मिलती। सरकार को आर्चरी की बेहतरी के लिए आयोग का गठन करना चाहिए। आर्चरी के कुछ मैदान भी बनने चाहिए। क्रीड़ा भारती खेलों की दशा व दिशा तय करने में अहम रोल अदा कर रही है। उम्मीद है कि जल्द ही हालात सुधरेंगे।

शिवशंकर सिंह, अध्यक्ष क्रीडा भारती गोलमुरी

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जब ये क्षेत्र बिहार में था तो खेल के लिहाज से उपेक्षित था। झारखंड बनने के बाद भी खेल पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। पहले झारखंड में आर्चरी के काफी खलाड़ी थे। आर्चरी के महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों में आमने-सामने झारखंड के खिलाड़ी ही होते थे। लेकिन, अब आर्चरी में झारखंड पीछे हो गया है। फुटबाल में 22 जिले रजिस्टर्ड हैं। लेकिन, जिला लीग छह-सात जिले में ही हो रही है।

रजीव कुमार, प्रांत मंत्री क्रीड़ा भारती

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कबड्डी जैसे सस्ते खेल के लिए भी सरकार आधारभूत संरचना मुहैया नहीं करा पा रही है। सरकार को खेल पर ध्यान देना चाहिए। स्कूलों में खेल टीचर नहीं हैं। विषयों के टीचर को खेल में लगा दिया जाता है। इसीलिए वो इसे समझ नहीं पाते।

चंद्रशेखर, सचिव जिला कबड्डी संघ

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शहर में मैदानों की कमी है। जेआरडी का मैदान जेएफसी ने ले लिया है। गोपाल मैदान सरकारी हो गया है। यहां विभिन्न सरकारी आयोजन होने लगे हैं। सरकार को चाहिए कि वो लोगों के लिए मैदान की व्यवस्था करे ताकि खेल को बढ़ावा मिल सके।

जे बेहरा, कोच फुटबाल, एग्रिको

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सरकारी मशीनरी में खेल से जुड़े ऊंचे ओहदों पर खेल से जुड़े लोगों को बैठाना चाहिए। तभी खेल का भला होगा। अक्सर खेल का विभाग अफसरशाही चलाती है। उन्हें खेल के बारे में पता नहीं होता। जैसे केंद्र में राजवर्धन सिंह राठौड़ को खेल मंत्री बनाया गया है। इससे खेल में काफी सुधार हुआ है। इसी तरह, राज्य स्तर पर भी ये प्रयोग करना चाहिए।

विनोद कुमार सिंह, फीफा रेफरी

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एसोसिएशन में राजनीति होती है। राजनीति खत्म होनी चाहिए। राजनीति के चलते खेल का नुकसान हो रहा है। अभी हाल ये है कि अगर जेआरडी में प्रैक्टिस करो तो बाहर संघ से खेलना नही मिलता। अगर जेआरडी में प्रैक्टिस करो तो बाहर से खेलने को नहीं मिलता। ये स्थिति ठीक नहीं है।

सुप्रिया, वालीबाल खिलाड़ी कदमा

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खेल से राजनीति खत्म होनी चाहिए। खिलाड़ियों के पास सामान नहीं है। उन्हें खेल के सामान मिलने चाहिए। तभी तो खिलाड़ी प्रैक्टिस करेगा। यही नहीं, खिलाड़ियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। टाटा स्टील और अर्बन सर्विसेज के लोग अपने ही खिलाड़ी को बढ़ावा देते हैं।

रेशमी, बाक्सर भालूबासा

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बाक्सिंग के लिए शहर में ¨रग नहीं है। एक ¨रग है वो जेआरडी के पास है। ¨रग नहीं होने से खिलाड़ी पिछड़ रहे हैं। वो प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। ज्यादातर खिलाड़ी गरीब हैं वो खेल से जुड़े सामान नहीं ले पा रहे हैं। इस वजह से सरकार को चाहिए कि वो इन खिलाड़ियों को जरूरत का सामान दे। खिलाड़ियों के साथ पक्षपात नहीं होना चाहिए।

अन्नू पांडेय, बाक्सर दाईगुट्टू

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खिलाड़ी हमेशा रोजी-रोटी की समस्या से जूझता है। सरकार को चाहिए कि वो खिलाड़ी के लिए रोजगार का इंतजाम करे। खिलाड़ी को नौकरी मिले। नेशनल गेम में जो क्वार्टर फाइनल तक भी पहुंचता है तो उसे नकद इनाम मिलना चाहिए। सरकार ने शहर में मैदान नहीं बनाए। अब सोनारी का लड़का खेलने के लिए टेल्को कैसे जा सकता है। राज्य सरकार को खेल का बजट बढ़ाना चाहिए।

कुंदन कुमार, बाक्सिंग कोच मानगो

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सरकार को चाहिए कि वो स्कूल स्तर से खेल को मजबूत करे। सरकारी स्कूलों में खेल की आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया जाए। सभी स्कूलों में खेल टीचर रखे जाएं। जिले में जिला खेल अधिकारी की तैनाती होनी चाहिए। लेकिन, अभी जिले में खेल अधिकारी नहीं है।

सूरज राय, बाक्सर ईस्टप्लांट बस्ती

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सरकार खेल पर ध्यान नहीं दे रही है। इस वजह से खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं। खेल की जब तक आधारभूत संरचना नहीं बनेगी तब तक कुछ होने वाला नहीं है। हम कंपनी के भरोसे कब तक बैठे रहेंगे। सरकार को खेल की आधारभूत संरचना को मजबूत करना ही होगा।

राहुल राज, फुटबालर बारीडीह

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खेल की कोई प्लानिंग नहीं है। स्कूलों में टूर्नामेंट होने पर कोच को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाते हैं। कभी खिलाड़ियों को टिप्स देने के लिए नहीं बुलाया जाता। खेल को मुकाम पर ले जाने के लिए एसोसिएशन में अच्छा मैनेजमेंट, स्पांसर, कोच और प्लेयर अच्छे होने चाहिए।

जेपी सिंह, अंतर्राष्ट्रीय बास्केटबाल कोच

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सरकार खेल की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। कीनन स्टेडियम में नौ अंतर्राष्ट्रीय मैच हो चुके हैं। आज कीनन स्टेडियम खत्म हो चुका है। कंपनी ध्यान नहीं दे रही है। इसे सरकार जीवंत कर सकती है। सरकार को कुछ करना चाहिए। ईमानदारी से काम करना चाहिए। सरकार को ध्यान देना होगा वरना जमशेदपुर में क्रिकेट रसातल में चला जाएगा।

बीएन सिंह, पूर्व उपाध्यक्ष झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन


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