101 नगाड़ों की गूंज के बीच 'संवाद' का आगाज आज
बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में पांचवां जनजातीय सम्मेलन संवाद का आगाज गुरुवार की शाम को साढ़े पांच बजे होगा।
जमशेदपुर जासं। बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में पांचवां जनजातीय सम्मेलन 'संवाद' का आगाज गुरुवार की शाम को साढ़े पांच बजे होगा। उद्घाटन समारोह शानदार बनाने के लिए गुरुवार को गोपाल मैदान में 101 नगाड़े एक साथ गूंजेंगे। यह आयोजन 19 नवंबर तक चलेगा। संवाद का थीम इस वर्ष सामाजिक बदलाव पर केंद्रित होगा।
बुधवार को सेंटर फॉर एक्सीलेंस सभागार में टाटा स्टील के चीफ (कॉरपोरेट सोशल रिस्पासबिलिटी) सौरभ रॉय ने बताया कि गोपाल मैदान में गोलाकार मंच पर एक साथ नगाड़ों की थाप से भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी जाएगी। टाटा स्टील की ओर से आयोजित इस जनजातीय सम्मेलन में 23 राज्यों से 137 जनजातीय समुदाय के लोग आएंगे तो वहीं नौ देशों से आदिवासियों के प्रतिनिधि पहुंचेंगे। पांच दिन तक चलने वाले समारोह में आदिम जनजातियों की संस्कृति, सभ्यता, उनकी भाषा, इलाज की पद्धति, व्यंजन सहित रहन-सहन व पहनावे से भी परिचित होने का मौका मिलेगा। आयोजन का उद्देश्य, देश में खत्म होते आदिम जनजातियों की समस्याओं को समझते हुए उनकी कला-संस्कृति को बचाए रखने के लिए मंच प्रदान करना है। प्रेसवार्ता में अर्बन सर्विसेज विभाग के हेड जीरेन टोप्पो व कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के हेड सिद्धार्थ बोर्तामली भी उपस्थित थे।
वैद्य करेंगे पारंपरिक इलाज
जनजातीय समारोह में 23 राज्यों से 101 वैद्य आ रहे हैं, जो गोपाल मैदान में अपने स्टॉल लगाएंगे और पारंपरिक तरीके से इलाज करेंगे। इसके साथ ही शहरवासियों को विभिन्न बीमारियों पर विशेषज्ञ राय भी देंगे। इसमें मुख्य रूप से राजस्थान के भवंर दवार, साउथ अफ्रीका के मोमासका व प्रो. आर बाला सुब्रमणियम भी शहर पहुंच रहे हैं। सौरभ ने बताया कि वैद्यों की आमदनी बढ़े, उनकी चिकित्सा पद्धति का विस्तार हो। इसके लिए वे बिजनेस हीलर्स एसोसिएशन का गठन करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, ट्राइबल कल्चर सेंटर में 16 से 19 नवंबर के बीच हर सुबह संस्कृति व पहचान, वन और वनाधिकार, पारंपरिक गर्वनेंस व विवादों के बीच शांति पर परिचर्चा भी होगी।
आदिवासी व्यंजन का भी मिलेगा मजा
समारोह स्थल पर 65 आदिवासी समुदायों द्वारा तैयार किए गए व्यंजन का मजा भी शहरवासी ले पाएंगे। इसमें चींटी की चटनी, बांस के चावल का व्यंजन के अलावा पहाड़ी, आसाम, मणिपुर, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों के आदिवासी व्यंजन को शाम चार से रात दस बजे तक देखने व चखने का मौका मिलेगा।
17 को होगा मुख्य आयोजन
पांच राज्यों (बस्तर, राजस्थान, हिमाचल, झारखंड व पश्चिम बंगाल) के 50 कलाकारों को साथ मिलाकर एक बैंड तैयार किया गया है, जिसका नेतृत्व विक्रम घोष व पूर्वायन चटर्जी कर रहे हैं। 17 नवंबर की शाम सभी कलाकार एक साथ अपनी कला की प्रस्तुति देंगे। सौरभ ने बताया कि आदिम संगीत व नृत्य को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए उनकी यह एक पहल है। ये 29 नवंबर को मुंबई स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफार्मिग आर्ट में भी अपनी प्रस्तुति देंगे।
हैंडीक्राफ्ट को लाइव देखने का मौका
इस बार शहरवासियों को हैंडीक्राफ्ट बनते देखने का मौका मिलेगा। गोपाल मैदान में 20 राज्यों से आए कलाकारों द्वारा 75 स्टॉल लगाए जा रहे हैं। इनमें से 10 स्टॉल में लद्दाख के पहाड़ी उत्पाद, नागालैंड, मिजोरम, नागा देवरा व झारखंड के उरांव पेंटिंग को बनते देख पाएंगे।
इन देशों से आ रहे हैं कलाकार व वैद्य
साउथ अफ्रीका, युगांडा, कैमरुन, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कीनिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, जाम्बिया, म्यंनमार व लोआस।
इन राज्यों से आएंगे आदिम जनजातीय समुदाय
झारखंड : भूमिज, चेरो, हो, खेरवार, मुंडा, पहाड़िया व संथाल। छत्तीसगढ़ : आहिर, डंडमी मडिया, धुर्वा, गोघूल मडिया, मेहरा, मानिकपुरी, मुडिया व राजा मुडिया। मध्य प्रदेश : बरेला, भरिया व परधान। असम : रभा। मणिपुर : मरम, वार। हिमाचल प्रदेश : किन्नौरी व स्वरांगल। सिक्किम : लापचा। पश्चिम बंगाल : खरिया व सरना उरांव। महाराष्ट्र : ठाकुर, भील। तमिलनाडु : मुल्लुकुरुम्बा। केरला : कणी। तेलंगाना : परधान। लद्दाख : लद्दाखी। अरुणाचल प्रदेश : मिश्मी। कर्नाटक : कुदिया।