अपने लोगों पर इतना अत्याचार, ताज्जुब है, संयुक्त राष्ट्र को करेंगे रिपोर्ट
टीम के सदस्यों को रैयतों ने कहा कि हमलोगों की जान-जमीन जबरदस्ती लूटी जा रही है।
बड़कागांव (हजारीबाग), उमेश दांगी। जर्मन फेडरल कमिशनर फॉर हयूमन राइट एंड ह्यूमेनिटेरियन एड ऑफ इंडिया डॉबी कॉफलर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने बुधवार को बड़कागांव स्थित एनटीपीसी के कोल प्रोजेक्ट एरिया के रैयत-विस्थापित गांव का दौरा किया। इस दौरान टीम ने कोल प्रोजेक्ट के विस्थापित-पीड़ित लोगों से उनकी व्यथा सुनी। टीम ने बीते वर्ष हुए वहां हुई घटनाओं की विस्तार से जानकारी ली। लोगों की बातें सुन कर टीम ने हैरानी जताई और बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने ही लोगों के साथ ऐसा अत्याचार। अंतरष्ट्रीय स्तर पर यहां की बात रखी जाएगी व संयुक्त राष्ट्र को रिपोर्ट भेजी जाएगी। टीम के सदस्यों को रैयतों ने कहा कि हमलोगों की जान-जमीन जबरदस्ती लूटी जा रही है।
एनटीपीसी को पुलिस-प्रशासन और सरकार का पूरा समर्थन है। हालत यह है कि प्रशासन जिला न्यायालय के निर्देशों का पालन भी नही कर रहा है। कोयला परिवहन के नाम पर लगातार मौतें हो रही हैं और हम अपनी बर्बादी का तमाश देख रहे हैं। लोगों ने विस्तार से बिंदुवार अपने उन्हें अपनी बात बताई। कहा, पहले एनटीपीसी ने वन अधिनियम का उल्लंघन कर फर्जी आंकड़ों के सहारे कोल प्रोजेक्ट की सहमति ले ली फिर जबरन लोगों की जमीन पर कब्जा किया। विरोध करने पर गोलियां चलवा कर चार लोगों की हत्या कर कई लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। वहीं प्रोजेक्ट के कारण प्रदूषण फैला कर नदी, तालाबों, आहरों को बर्बाद कर खेती युक्त जमीन, जानवर को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जबरन कोयला खनन कर अपने प्रोजेक्ट मार्ग से न ले जाकर सार्वजनिक सड़क का प्रयोग किया जा रहा है। इससे दुर्घटनाओं में अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है।
टीम के बड़कागांव, कर्णपुरा इलाकों के दौरों की सूचना पाकर राज्य सरकार भी अलर्ट थी। इसलिए टीम ने निश्चित तारीख के स्थान पर एक दिन बाद क्षेत्र का दौरा किया। बिना किसी तामझाम के टीम ने खनन एरिया, पीड़ित परिवारों और विस्थापितों से मिलकर एक-एक बिंदु की जानकारी हासिल की और रांची वापस लौट गई। टीम उरुब, चुरचू, डांडी, सोनबरसा, चेपा, अराहरा, ढेंगा में आर एंड आर कॉलोनी, बादम, मोइत्रा आदि गांव के लोगों से मिली। टीम के साथ रांची से गोपीनाथ घोष, मुंबई से बेनिजिर रौस¨लड, अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार, इलियास अंसारी, मुखिया दीपक दास, इंद्रदेव राम, शंकर भुइयां, पवन रॉय सहित कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अलावे जनसंगठन के लोग समेत दर्जनों रैयत-विस्थापित-पीड़ित परिवार के लोग शामिल थे।