PM Modi in Jharkhand: 2.5 लाख लोगों को प्रधानमंत्री ने दी शुद्ध पेयजल की सौगात
PM Narendra Modi in Jharkhand. पीएम नरेंद्र मोदी ने कोनार जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया। इसके जरिए 56 हजार घरों तक पहुंचेगा पीने का शुद्ध पानी पहुंचेगा।
हजारीबाग, [ रमण कुमार]। शहर के गिरते भू-गर्भ जलस्तर के कारण शहरवासियों की पेयजलापूर्ति की समस्या बढ़ चुकी है। आर्सेनिक व अन्य घातक तत्वों के कारण तेजी से दूषित होते भू-गर्भ जल के कारण आम लोगों के लिए उसका उपयोग करना भी मुश्किल हो चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा रविवार को शिलान्यास की गई कोनार जलापूर्ति योजना आने वाले समय में शहर के लोगों के लिए वरदान साबित होगी। योजना वर्तमान के साथ भविष्य को भी ध्यान में रखकर बनाई गई। जानकारी के अनुसार इस योजना से आगामी 2050 तक शहरवासियों को शुद्ध पेयजलापूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
जानकारी के अनुसार कोनार जलापूर्ति योजना से शहर के 56 हजार घरों में पेय जलापूर्ति की जाएगी। आने वाले समय में लगभग 30 वर्षों तक इस योजना का लाभ हजारीबाग के लोगों को मिलेगा। लगभग 517 करोड की लागत की पूरी की जाने वाली यह योजना तीन वर्षों में पूरी हो जाएगी।
परियोजना को समय पर पूरा करने की शर्त को लेकर कंपनी के द्वारा शिलान्यास के पूर्व ही पाइपलाइन बिछाने को लेकर सर्वे का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। परियोजना पूरी होने के बाद शहर के 36 वार्डों के लगभग 2.5 लाख लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। प्रधानमंत्री द्वारा योजना का शिलान्यास किए जाने को लेकर शहर के लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं।
एक नजर में कोनार जलापूर्ति परियोजना
-विष्णुगढ के कोनार डैम से हजारीबाग के रोला तक तकरीबन 47 किमी लंबी पाइपलाइन से जलापूर्ति की जाएगी।
- पूरे शहर में लगभग 225 किमी की सप्लाई पाइपलाइन बिछाई जाएगी।
- लगभग 517 करोड़ है परियोजना की लागत।
- छड़वा डैम, रोला व कोनार तीन जगहों पर बनाए जाएंगे तीन नए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट।
- सात नई पानी की टंकियों का निर्माण करने के साथ पूर्व की छह टंकियों का किया जाएगा जीर्णोद्धार।
- रोलां में 52 लाख लीटर का व कोनार में 70 लाख लीटर क्षमता का बनेगा इनटेक वेल।
- घरों में जलापूर्ति करने के लिए निर्माता कंपनी ने प्रारंभ किया सर्वे कार्य।
- 17 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे परियोजना का शिलान्यास।
- परियोजना का कार्य देश की जानी मानी कंपनी एलएंडटी कर रही है।
- तीन वर्षों में पूरी होगी परियोजना, वर्ष 2050 तक मिल पाएगा इस योजना का लाभ।