कभी सदर अस्पताल आना था मुश्किल अब घर बैठे अपोलो से करा रहे इलाज
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चुरचू। अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में चुरचू में
विकास कुमार, हजारीबाग : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चुरचू। अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में चुरचू में पड़ने वाले इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जहां दिन में ताले लटके रहते थे। मरीजों का यहां से 22 किलोमीटर दूर हजारीबाग के सदर अस्पताल तक आना तक मुश्किल था। एक दशक बाद अब यहां व्यवस्था ऐसी बदली है कि अस्पताल के मरीज यहां बैठ कर अपोलो हैदराबाद से इलाज करवा रहे हैं। यह सब संभव हुआ है राज्य सरकार के द्वारा शुरु की गई डिजिटल डिस्पेंसरी सेवा से। एक तरह जहां राज्य 100 डिजिटल डिस्पेंसरी में से 35 बिजली नही मिलने से पूरी तरह बाधित हैं तो दूसरी तरफ चुरचू मरीजों की संख्या में लगातार रिकार्ड बना रहा है। 20 फरवरी को शुरु हुई इस योजना से अब तक 1000 मरीजों को लाभ मिल चुका है।
छह दिन ओपीडी, हर दिन 15 से 20 मरीजों का इलाज
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रविवार छोड़कर प्रत्येक दिन ओपीडी की व्यवस्था की गई है। ओपीडी में हर दिन 15 से 20 मरीज परामर्श को पहुंचते हैं। उनकी सुविधा के दो एएनएम हमेशा मौजूद रहती हैं। मरीज की पूरी परेशानी सुनने के बाद इसे अपलोड किया जाता है। इसके बाद हैदराबाद अपोलो के चिकित्सक वीडियो कांफ्रेसिग के माध्यम से सीधे मरीज से बात करते हैं। यहां बैठी एनएनएम उनके सलाह को नोट करती हैं। दवाएं लिखती हैं। जरूरत होने पर मरीज को दोबारा फालोअप के लिए बुलाया जाता है।
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पांच साल से गैस की समस्या से थी परेशान, इलाज के बाद मिली राहत
डिजिटल डिस्पेंसरी के माध्यम से आस-पास के लोगों को काफी लाभ मिल रहा है। फरवरी माह में पांच साल से गैस की समस्या से परेशान बेहरा गांव की 65 वर्षीय सरस्वती देवी यहां परामर्श लिया था। चिकित्सकों की सलाह पर दवा लेने शुरु की। तीन बार हैदराबाद के चिकित्सकों ने वीडियो क्रांफ्रेसिग के माध्सम से ही फालोअप के लिए बुलाया। अब बताती हैं कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। लोगों को इस योजना से जेनरल फिजिशियन व बच्चों के चिकित्सक से परामर्श की सुविधा मिल रही है।
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बदलाव का वाहक बना है चुरचू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
हजारीबाग के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला की पहल पर चिकित्सा प्रभारी डा. एपी चैतन्या ने अस्पताल में कई बदलाव किए हैं। छोटो सा यह अस्पताल सुविधाओं के मामले में कई बड़े अस्पतालों को टक्कर दे रहा है। यहां की व्यवस्था से ही प्रभावित होकर नीति आयोग की टीम अस्पताल में फिल्म भी बना रही है।