पुलिस सीधे चलाती है डंडा, कैसे खोलें दुकान ..
हजारीबाग : जिला प्रशासन ने नहीं, पुलिस ने भी बस स्टैंड की दुकानें बंद नहीं कराई, तो हर
हजारीबाग : जिला प्रशासन ने नहीं, पुलिस ने भी बस स्टैंड की दुकानें बंद नहीं कराई, तो हर रात कौन है जो पीसीआर और थाना गाड़ी की गश्ती से आता है और रात के दस से 11 बजे दुकानों को बंद कराता है। बंद नहीं करने वालों पर डंडे भी बरसाने से पीछे नहीं हटता। ये बातें सब की जुबा पर हैं, मसला है पुराना सरकारी बस स्टैंड को जबरदस्ती बंद कराने का। दैनिक जागरण जनहित में पूरे मामले को प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है। पदाधिकारियों के ना के बाद सरकारी बस स्टैंड में दुकानें बंद करने को लेकर जब बातें की गई तो सीधा जवाब था, भैया कैसे दुकान खोलें। हर रात दस से 11 बजे पुलिस आती है और सीधे डंडा चलाते हुए दुकान बंद करा देती है। बताया कि यह कारवां हर दिन चलता है। हम कोई रिस्क लेना नहीं चाहते हैं, इसलिए दुकान बंद रख रहे हैं।
--------------
बुधवार रात पीसीआर नंबर चार ने रात के करीब साढे़ दस बजे बंद कराई दुकान
सरकारी बस स्टैंड में दुकानों को बंद करने के बाबत जब बातचीत की गई तो बताया गया कि पीसीआर नंबर चार आकर दुकान रात में बंद करा रही है। बुधवार को रात के करीब साढ़े दस बजे दुकानें बंद कराई गई। सीसीटीवी फुटेज में भी यह देखा जा सकता है। आरटीआई कार्यकर्ता राजेश मिश्रा सहित बस स्टैंड के कई दुकानदारों ने इसकी पुष्टि की है।
भय में रात काट रहे यात्री, अंधेरे में तब्दील हुआ बस स्टैंड
सरकारी बस स्टैंड के अंदर बिजली की कोई बड़ी मास्ट लाइट नहीं लगाई गई है। बाहर में बिरसा मुंडा चौक के समीप यह व्यवस्था है। अंदर में दुकानें बंद होने और बसों के खड़ी होने के बीच एकमात्र यात्री प्रतीक्षालय है, जहां रात के अंधेरे में यात्री भय से दुबके बैठे रहते हैं। एकाएक दुकानें बंद हो जाने के कारण ठंड में अलाव मिल रहा है ना समय काटने के लिए चाय पानी। अंधेरे में तब्दील हो चुके बस स्टैंड में अगर कोई बड़ी घटना हो जाए तो कोई किसी को जानने या पहचानने वाला भी नहीं होगा। दबी जुबान से कर रहे विरोध, सामने नहीं आना चाहता कोई
बस स्टैंड से जीने खाने वाले लोग दबी जुबान से इस बात का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सामने कोई नहीं आना चाहता है। बस स्टैंड में लोगों से कई बार बात करने की कोशिश की गई, दुकानें खोलने का भी आग्रह किया गया, लेकिन एक ही बात कहना था कि पुलिस आकर कहे तब खोलेंगे, इसके सिवा किसी की नहीं सुनेंगे, सुरक्षा देना भी उन्हीं का काम है। सदर थाना पुलिस ने नहीं कराई दुकानें बंद : थाना प्रभारी
सदर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नीरज कुमार ¨सह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि लोगों को और सोशल मीडिया में भी सदर थाना पुलिस को लेकर गलतफहमी हो गई है। यहां से किसी ने भी सरकारी बस स्टैंड की दुकानें बंद नहीं कराई। हम खुद चाहते हैं कि दूकानें खुली रहेगी तो लोगों को सुविधा भी होगी और छिनतई जैसी घटनाएं नहीं होगी।
कोट---
गंभीर मामला है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इस तरह का कोई पत्र जारी नहीं किया गया है। हम खुद जांच कर रहे है कि इसके पीछे कौन है। दुकानदार बेधड़क होकर दुकान खोल सकते हैं, खुद एसडीपीओ से बात की है, उन्होंने भी इस तरह की बात से इंकार किया है। दुकान निश्चित होकर अपना काम करे। शासन की ओर से दुकान बंद ही नहीं कराया गया है तो खुलवाने का काम भी हम नहीं कर सकते है।
मेघा, भारद्वाज, एसडीएम, हजारीबाग अगर दुकानदारों से समस्या है तो हम सब सुधार करेंगे
: दीपक वर्मा- फोटो - 31 दुकानदार
बस स्टैंड खुला रहने से आने वाले यात्रियों को रात में सुविधा और सुरक्षा मिलती है। समय-समय पर यहां पुलिसिया गश्ती भी पूर्व में रात और दिन में होती रही है। अगर दुकानों के कारण समस्या है तो हम सब बैठकर इस दिशा में सुधार करेंगे। दुकान बंद होने से प्रभावित हुआ रोजगार : विजय यादव फोटो - 32
दुकान बंद हो जाने से हमारे रोजगार प्रभावित हुए हैं, हम जिला प्रशासन और पुलिस के साथ हर कदम पर हैं। रात में दुकान खुले होने से अस्पताल जैसे कई स्थान से आने वाले लोगों को खाना से लेकर छोटी-मोटी जरूरत का सामान उपलब्ध होता था। हजारीबाग में एक मात्र यही स्थान है जहां रात में आवयश्कता की चीजें प्राप्त होती है। इसके अलावा रात में यहां मेडिकल दुकानें ही खुलती हैं। बैठक लेकर करना था कोई निर्णय : ¨पटू, दुकानदार फोटो-33
शाम में युवकों का जमावड़ा होता है, रात में धीरे धीरे कम हो जाता है, सभी दुकानदार मिलकर इस ओर कदम उठाएं तो हम स्टेशन को और अच्छा बना सकते हैं। हमें और क्या, सुधार करने की आवश्यकता है। इस पर शासन भी पहल कर सकता है। अगर ज्यादा गंभीर मामला है तो हमारी बैठक कर हमें इसके लिए व्यापक जानकारी दी जाए।