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एमपी के युवक के लिए 47 दिनों से नैनो कार बना आशियाना

- एमपी का युवक चौपारण में फंसा 47 दिनों से नैनो कार में कट रही जिंदगी - एमपी के सागर इलाके

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 May 2020 06:27 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 06:27 PM (IST)
एमपी के युवक के लिए 47 दिनों से नैनो कार बना आशियाना
एमपी के युवक के लिए 47 दिनों से नैनो कार बना आशियाना

- एमपी का युवक चौपारण में फंसा, 47 दिनों से नैनो कार में कट रही जिंदगी

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- एमपी के सागर इलाके से असम जाने के लिए 22 मार्च को निकला था पारस, 24 को खराब हुई नैनो कार, लॉकडाउन के कारण नहीं करा पाया मरम्मत

- भूख लगने पर मैगी और फल खाकर भर रहा है पेट शशि शेखर, चौपारण: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरी दुनिया थम सी गई है। देश में हर दिन कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा हो रहा है। लिहाजा लॉकडाउन का तीसरा चरण लागू होने के बाद भी कई राज्यों में अब भी जन-जीवन ठहरा हुआ है। ऐसी परिस्थिति में एमपी के युवक पारस द्विवेदी के लिए बीते 47 दिनों से नैनो कार ही उसका अशियाना बना हुआ है। लॉकडाउन वन के बाद से पारस अपना हर दिन इसी छोटे से कार में गुजार रहा है। गाड़ी के सीट ही उसके लिए खाने के टेबल और सोने के वक्त बेड़ बने हुए हैं। दरअसल, यह युवक 22 मार्च को एमपी के सागर से असम जाने के लिए निकला था। लेकिन 24 मार्च को चौपारण से गुजरते वक्त जीटी रोड पेट्रोल पंप के समीप उसकी कार खराब हो गई और वह यहीं फंस गया। इधर, तनाव के कारण वह ठीक से खाना भी नहीं खा रहा है। पहले जहां वह फल खाकर गुजारा कर रहा था। अब तनाव के कारण उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ने के कारण कच्चा मैगी खा रहा है। मां से हर दिन फोन पर बात कर, हल्का करता है अपना मन

पारस ने बताया कि वह यूपी के जबलपुर का रहने वाला है। एमरी के सागर में उसके मामा का घर है। वहीं से वह लगभग पंद्रह सौ किमी दूर माता कामाख्या मंदिर, असम के लिए निकला था। लेकिन कार खराब होने व लॉक डाउन की वजह से न तो वह असम जा पा रहा है और न हीं अपने घर। उसके पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि कार की मरम्मत करवा सके। वहीं, वह कार छोड़कर लौटना भी नहीं चाहता है। हालांकि इस बीच वह हर दिन अपनी बूढी मां से फोन पर बात कर अपना मन हल्का करता है। उसके मुताबिक कामख्या मंदिर की यह उसकी छठवीं यात्रा थी। पैसे की किल्लत के कारण नहीं करवा पा रहा है कार की मरम्मत

पारस चाहता है कि उसकी कार ठीक हो जाए और वह घर लौट जाए। लेकिन पर्याप्त पैसे नहीं होने के कारण वह इसकी मरम्मत नहीं करना पा रहा है। उसने बताया कि एक बार उसने मैकेनिक से कार बनवाने की कोशिश की थी। लेकिन दस हजार रुपये की मांग करने पर वह पीछे हट गया। धार्मिक प्रवृति का है पारस

पारस काफी धार्मिक प्रवृति का है। किसी का दिया हुआ भोजन नहीं खाता। इस कारण उसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इधर, लोगों की मदद नहीं लेने व सिर्फ फल का सेवन करने के कारण उसकी सेहत भी खराब हो रही है।


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