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22 घरों का गांव, एक दर्जन से अधिक हैं दिव्यांग

विकास कुमार हजारीबाग हजारीबाग के 17 किलोमीटर दूर दारु प्रखंड का दारुबक्शीडीह गांव।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:11 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 09:11 PM (IST)
22 घरों का गांव, एक दर्जन से अधिक हैं दिव्यांग
22 घरों का गांव, एक दर्जन से अधिक हैं दिव्यांग

विकास कुमार, हजारीबाग : हजारीबाग के 17 किलोमीटर दूर दारु प्रखंड का दारुबक्शीडीह गांव। 22 घरों वाले 150 आबादी वाले इस गांव में एक बार अंदर प्रवेश करने पर सबकुछ सामान्य नजर आता है। घरों के बाहर बैठे लोग। धूल में खेलती 4 वर्षीय रचना कुमारी और उसकी बड़ी बहन छह वर्षीय रचना कुमारी भी सामान्य बच्चों की तरह की दिखती हैं। लेकिन, हकीकत बिल्कुल ही इसके विपरीत है। बिना शोर किए जब दोनों बच्चे काफी देर तक खेलते तो पता चला के ये दोनों बहनें जन्म से बोल और सुन नही सकतीं। मूक बधिर हैं। इन दोनों बच्चियों में एक रचना कुमारी तो पैरों पर खड़ा भी नही हो सकती। दोनों दिव्यांग बच्चियों के बेबस मां-पिता ग्रामीणों को भरोसे ही इन्हें छोड़कर हर दिन मजदूरी करने निकल जाते हैं। दिन भर ग्रामीण ही इन्हें खाना खिलाते हैं।

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फिर ग्रामीणों ने बताया कि ऐसे एक बच्चे नही हैं। गांव में कई बच्चे और युवक हैं, जो दिव्यांग हैं। कई बोल नही सकता तो किन्ही का शारीरिक विकास नही हुआ। बच्चे और युवकों को मिलाकर एक दर्जन लोग दिव्यांग हैं। हालांकि, इसकी वजह क्या है इसका जवाब उनके पास नही है और वही दूसरी और प्रशासन का ध्यान कभी इस ओर गया ही नही।

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22 वर्ष का सूरज का नही हुआ शारीरिक विकास, चौथी कक्षा में कर रहा है पढ़ाई

गांव के ही कौलेश्वर राम के पुत्र सूरज राम की उम्र 22 वर्ष हो चुकी है। लेकिन, संभवत कुपोषण की वजह से उसका शारीरिक व मानसिक विकास नही हो सका है। सूरज के पिता बताते हैं कि इसके साथ गांव के पैदा हुए अन्य बच्चों की शादी हो गई लेकिन, यह अभी बच्चों की तरह ही है। वर्तमान में चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रहा है। कद भी तीन फीट से ज्यादा नही बढ़ सका है। काफी मुश्किल से बोल पाता है। सूरज की तरह से 14 वर्षीय निशा रानी भी मूक बधिर है। हालांकि, अभी वह 10 वीं पढ़ाई कर रही है। इनके अलावा

गांव के 25 वर्षीय पुतुल राम, गुंजा कुमारी, मुन्नी कुमारी, पूनम देवी, लालजी पासवान, तेजो राम आदि दिव्यांगता की समस्या से ग्रसित हैं। गांव की यह स्थिति यह बयां कर रही है कि गांव लंबे समय से गंभीर कुपोषण का शिकार है।

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- मेरे संज्ञान में यह मामला नही था। अशिक्षा व शराब एक वजह से हो सकती है। शराब की वजह से पौष्टिक खान -पान में लोग ज्यादा ध्यान नही देते। गांव जाकर यहां के लोगों की हर संभव मदद की कोशिश की जाएगी - राम रतन कुमार वर्णवाल, बीडीओ दारु प्रखंड


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