Move to Jagran APP

मनरेगा की मजदूरी नहीं आ रही रास, लौटने लगे कामगार

ललित मिश्रा विष्णुगढ़ वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉकडाउन के दौरान द

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 07:38 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 07:38 PM (IST)
मनरेगा की मजदूरी नहीं आ रही रास, लौटने लगे कामगार
मनरेगा की मजदूरी नहीं आ रही रास, लौटने लगे कामगार

ललित मिश्रा, विष्णुगढ़: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न महानगरों से अपने-अपने घर लौटे प्रवासी कामगारों को अब एक बार फिर महानगरों की याद आने लगी है। इन कामगारों को सरकार द्वारा मनरेगा के तहत मुहैया कराए काम की मजदूरी रास नहीं आ रही है। उनकी पूर्व की आमदनी की तुलना में बहुत कम लग रही है। लिहाजा कामगारों ने एक बार फिर रोजी-रोटी के लिए अन्य प्रदेशों की ओर रूख कर लिया है। हालांकि इनके लिए मनरेगा के तहत प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। कई काम भी कर रहे हैं। लेकिन अधिकांश प्रवासी कामगारों को मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी कम लगती है। दूसरी ओर विभिन्न महानगरों में संचालित कंपनियों द्वारा इन प्रवासी कामगारों को लौटने के लिए समुचित मजदूरी के साथ अन्य सुविधाओं का प्रलोभन भी दे रही हैं। वहीं प्रशासन और विभाग द्वारा दोबारा लौट रहे कामगारों का निबंधन भी नहीं किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार अनलॉक शुरू होने पर महानगरों में शुरू हुए कामधंधा व कल कारखानों में काम करने को जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड के काफी कामगार दूसरे प्रदेशों को लौटने लगे हैं। इसके लिए कंपनियां विविध सुविधाएं भी उपलब्ध करा रही हैं। यहां तक की कामगारों को लाने बसें भी भेजी जा रही है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर एजेंट भी भेजे जा रहे हैं। हालांकि वह अपनी पहचान उजागर नहीं करते हैं। जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र से विष्णुगढ प्रखंड के बनासो पहुंची बस से 40-50 की संख्या में मजदूर पुणे रवाना हुए है। बस से जाने वालों में चानो, गरहमुर्गी, नावाटांड, सिरैश्य, जरकुंडा, नारायणपुर, फुसरो गांव के ग्रामीण युवक शामिल हैं। मुंबई जाने वालों में राजेश महतो, सीताराम महतो, मनोज, दीपक, गंगाधर महतो, अजीत महतो, लालचंद महतो, जेठू महतो, बबलू मरांडी, अमर, दिनेश, शांति राम, बैजनाथ, शिबू हंसदा, अनिल हंसदा, सुनील हंसदा, रामरतन सिंह,शक्ति नाथ, भीम महतो, रूपलाल महतो, गोविद सोरेन, विजय शंकर, अजय आदि शामिल हैं।

prime article banner

----------------

क्या कहते हैं कामगार .

नावाटांड के महेंद्र महतो उर्फ माही पटेल ने कहते हैं कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं होने से ग्रामीण युवक कामधंधे को ले दूसरे राज्यों में जाने जोखिम उठा रहे हैं। इसमें राजू दीपक, कौलेश्वर भागीरथ कामेश्वर चेतलाल सोबरन संतोष, रीतलाल विजय लोकी आदि शामिल हैं। प्रखंड के चानो निवासी हेमलाल महतो ने कहा कि दो दिन पूर्व राजस्थान से आई बस कई मजदूरों को लेकर ट्रांसमिशन लाइन में काम कराने ले गई है।

------------------

लुभाती है महानगरों की स्वच्छंद जीवन शैली : बीपीओ

विष्णुगढ़ बीपीओ राजीव आनंद ने बताया कि मनरेगा के तहत पर्याप्त काम है। स्कील्ड कामगारों को मनरेगा के तहत काम करना मंजूर नहीं है। उन्हें और अधिक मजदूरी की चाहत होती है। यह भी बताया जा रहा है कि दूसरे प्रदेशों में काम करने के दौरान मजदूरों की जीवन शैली स्वच्छंद बनी होती है, जिसका स्थानीय स्तर अभाव होता है। लिहाजा दूसरे राज्यों में काम चुके मजदूरों को स्थानीय स्तर पर करने के कार्य करने बजाय महानगरों का रुख करते हैं।

--------------

कामगारों का दूसरे राज्यों में जाना उचित नहीं : बीडीओ

विष्णुगढ़ बीडीओ संजय कुमार कोंगाड़ी कहते हैं कि प्रखंड स्तर पर मनरेगा के तहत पर्याप्त संख्या में काम उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह काम इच्छुक प्रवासियों को दिया जा रहा है। इसके बावजूद विष्णुगढ़ से दूसरे राज्यों को लौट रहे कामगर बिना सूचना दिए जा रहे हैं। गुपचुप तरीके से दूसरे राज्य जा रहे हैं जो उचित नहीं हैं।

------------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.