जेपी की विचारधारा का मंजिल है समग्र क्रांति
जागरण संवाददाता हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के गांधी- विनोबा-जयप्रकाश चितन केंद्र में शु
जागरण संवाददाता, हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय के गांधी- विनोबा-जयप्रकाश चितन केंद्र में शुक्रवार को लोकनायक की जयंती के अवसर पर संगोष्ठी आयोजित की गई। लोकनायक जय प्रकाश एक क्रांति शोधक विषय पर बतौर मुख्य अतिथि डॉ. राधेश्याम अंबष्ठ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बुद्ध की बौद्धिक खोज का समापन गांधी व जेपी में हुआ। लोकनायक ने कहा था कि लोकतंत्र को लोकशाही की धरातल पर लाए बिना इसकी सार्थकता सिद्ध नहीं होगी। डॉ. अंबष्ठ ने जेपी की विचार धारा के विभिन्न पड़ावों की व्याख्या की, जिसमें समाजवाद, मार्क्सवाद, लोकतांत्रिक समाजवाद, सर्वोदय, भूदान जैसे तत्व प्रमुख हैं। लगभग सवा घंटे के व्याख्यान में मुख्य अतिथि ने जेपी के व्यक्तित्व का आईना विभिन्न आयामों से दिखाने का काम किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में विभावि कुलसचिव डॉ. बंशीधर प्रसाद रूखैयार ने कहा कि जेपी की जीवन यात्रा अहिसा से प्रारंभ हुई तथा दलविहिन लोकतंत्र की हिमायती से अंत हुई। उन्होंने कहा कि जेपी की मौलिक प्रतिभा से 1942 के बाद से पूरा देश रूबरू हो सका। उनका जीवन दर्शन का महत्व कभी कम नहीं हो सकता।
मौके पर जेपी आंदोलन के सेनानी स्वरूप चंद जैन, अर्जुन यादव, सतीश गिरिजा, शमशेर आलम, अनिल प्रसाद, हरीश श्रीवास्तव, प्रदीप पांडेय, डॉ. शनींद्र कुमार, प्रो. रामप्रिय प्रसाद, डॉ. सुकल्याण मोइत्रा, भैया अरविद सहाय, प्रो. लक्ष्मी सिंह, डॉ. पवन सिंह, विजय सिन्हा समेत कई शिक्षक व विद्यार्थीगण मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रमोद कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनोद रंजन ने किया।