अमर शहीद सिदो-कान्हू ने फूंका था विद्रोह का बिगुल
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जिला कांग्रेस कार्यालय में सहित कई अन्य जगहों पर हूल दिवस का आयोजन, शहीदों को किया नमन
जासं, हजारीबाग : जिला कांग्रेस कार्यालय में बुधवार को मर शहीद सिदो -कान्हू की शहादत को हुल दिवस के रूप में मनाया गया। लॉक डाउन को लेकर सरकार के द्वारा दिए गए गाइड लाइन का अनुपालन करते हुए शहीद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि संथाल परगना संथाल आदिवासी परिवार में दो वीर भाइयों का जन्म हुआ जिसे हम सिद्धो-कान्हू मुर्मू के नाम से जानते हैं जिसने अंग्रेजों के आधुनिक हथियार को अपने तीर धनुष के आगे झुकने पर मजबूर कर दिया था। संथाल विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाने वाले इनके दो भाई भी थे जिनका नाम चांद मुर्मू और भैरव मुर्मू था। इनकी दो बहनें भी थी जिनका नाम फूलो मुर्मू एवं झानो मुर्मू थे। सिद्धो-कान्हू नें 1855-1856 में ब्रिटिश सत्ता साहूकारों व्यापारियों व जमींदारों के अत्याचार के खिलाफ एक विद्रोह की शुरुआत की जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है । संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो। मौके पर वरिष्ठ कांग्रेसी शशि मोहन सिंह, रविन्द्र कुमार सिंह, मिथिलेश दुबे, उपाध्यक्ष सह मीडिया प्रभारी निसार खान, गोविद राम, धीरेन्द्र कुमार दुबे, मकसुद आलम, सुनिल कुमार ओझा, मनोज कुमार मोदी, सुनिल सिंह राठौर, रविन्द्र गुप्ता, सदरूल होदा, अजित कुमार सिंह, मंसुर आलम, राजू चौरसिया, चंदन कुमार गुप्ता, सलीम रजा, निशांत कुशवाहा, राशिद खान, विजय कुमार सिंह, सैयद अशरफ अली, सत्यम कुमार, मजहर हुसैन, शशि भुषन, मो. आबिद, सरयू यादव, कैलाश पति देव, शिव नंदन साहू के अतिरिक्त कई कांग्रेसी उपस्थित थे ।