14 की उम्र में गांधी टोपी पहन लगाया था वंदेमातरम का जयघोष
हजारीबाग : संयुक्त हजारीबाग जिला में करीब 250 अधिक से स्वतंत्रता सेनानी हुए। इनमें एक कटकमदाग के मया
हजारीबाग : संयुक्त हजारीबाग जिला में करीब 250 अधिक से स्वतंत्रता सेनानी हुए। इनमें एक कटकमदाग के मयातू निवासी स्व. महादेव दुबे के पुत्र लक्ष्मी प्रसाद दुबे भी थे, जिन्होंने गांधी के आह्वान पर अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा में लिया और इस प्रकरण में उन्हें तीन बार जेल भी जाना पड़ा।
पहली बार उन्हें जेल की यात्रा 14 वर्ष की उम्र में करनी पड़ी, जब वे गांधी टोपी पहन वंदेमातरम का जयघोष की थी। इसी आरोप में उन्हे पांच दिनों के लिए जेल भेज दिया गया। लेकिन वहां से उन्हें रिहाई 26 दिन बाद संभव हो सका। 92 वर्षीय और श्री प्रसाद राज्य के अंतिम जीवित स्वतंत्रता सेनानी है। दैनिक जागरण से अपने अनुभव और आजादी के दिनों की कहानी, अंग्रेजों की यातनाएं और गांधी जी का अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में बताते हुए रोमांचित हो उठते है। कड़क आवाज और शरीर से स्वस्थ श्री प्रसाद ने बताया कि उन्हें दूसरी बार जेल की यात्रा काली बाड़ी रोड स्थित नाले के पास से उस समय करनी पड़ी जब हजारीबाग में सुभाष चंद्र बोस का आगमन होना था। उनके स्वागत में हम लोगों की टोली बनी थी, यह टोली झंडा चौक की ओर से नारे लगाते हुए आ रही थी। वंदेमातरम का नारा लगाया जा रहा था, इस बीच आए अंग्रेज सैनिकों ने लाठी चार्ज कर दी और मैं पकड़ा गया। दूसरी बार 1941 में ही दिसंबर 13 दिनों के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा। बताया कि गांधी जी ने नारा दिया था, करो या मरो, जिसका अर्थ था देश के लिए कुछ करों और अंग्रेजों को भगाने के लिए मरना भी पड़े तो मरो। गांधी जी की गिरफ्तारी के बाद नेहरु भी गिरफ्तार कर लिए गए थे। इसके बाद देश में आंदोलन छिड़ गया और अंग्रेजों को मजबूर होकर देश छोड़ना पड़ा।