Hazaribagh News: सीसीएल के बंद खदान में हादसा, चाल धंसने से कोयला खनन करते मजदूर की मौत; परिवार में पसरा मातम
हजारीबाग जिले के चरही थाना क्षेत्र के सीसीएल के बंद पड़े 44 नंबर खदान के समीप फूल बगान के पास चाल धंसने के मजदूर सुधीर करमाली( 55 वर्ष) की दर्दनाक मौत हो गई। दुर्घटना शुक्रवार की सुबह करीब 8 30 बजे की है।
संवाद सूत्र चरही,( हजारीबाग)। झारखंड जिले के हजारीबाग जिले के चरही थाना क्षेत्र के सीसीएल के बंद पड़े 44 नंबर खदान के समीप फूल बगान के पास चाल धंसने के मजदूर सुधीर करमाली( 55 वर्ष) की दर्दनाक मौत हो गई। दुर्घटना शुक्रवार की सुबह करीब 8: 30 बजे की है।
इस घटना की जानकारी पर मृतक के परिजन और पड़ोसी शव को खदान से निकाल कर घर ले आए। परिजन न तो रो पा रहे थे और न ही किसी को कुछ बता पा रहे थे। आस -पास के लोगों का जीविका का मुख्य साधन कोयला निकाल कर बेचना ही रह गया है।
तस्करों को कोयला बेचकर मजदूर चलाते हैं जीविका
इस कार्य में लगे मजदूर कोयले को मात्र 2. 50 रुपये प्रति किलो की दर से तस्करों के हाथों बेच कर अपनी जीविका चलाते हैं। उन्हीं की सस्ते कोयले को खरीदकर तस्कर पांच रुपये की दर से बड़े व्यापारी को बेचते हैं। वही कोयला यूपी और बिहार की मंडी में 13 से 15 रुपए बेचकर बड़े व्यापारी मालामाल होते रहते हैं।
घटना होने पर मजदूरों को चुप लगाने के बजाय कोई रास्ता नहीं बचता। क्षेत्र में इस तरह की घटना को नजर अंदाज कर दिया जाता है।
मृतक के परिजन पुलिस -,प्रशासन को जानकारी भी नही दे पाते। इस घटना की भी कोई जानकारी स्थानीय पुलिस को नहीं दी गई,जिस कारण पुलिस शव को बरामद कर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया नही की।
क्षेत्र में कोयले की चोरी और भंडारण बदस्तूर जारी है
जहां एक तरफ सीसीएल के कोलियरी यार्ड और आस - पास क्षेत्र के अवैध मुहाने से उत्खनन कर जंगलों में रखे जा रहे हैं। वही दूसरी ओर रेलवे साइडिंग से कोयले की चोरी कर तस्करों के हाथ बेचने वाले गिरोह फल -फुल रहे हैं।
जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के निर्देश पर बीच -बीच में छापेमारी अवश्य कर कोयले की चोरी में कुछ दिनों के लिए विराम लगा दिया जाता है, लेकिन अवैध कोयले के कारोबार कभी बंद नही होता है।
सीसीएल सुरक्षा विभाग, पुलिस और वन विभाग की संयुक्त छापेमारी बीच बीच में भी होती है। कोयले की बरामदगी भी की जाती है। फिर कुछ दिनों के बाद तस्करी की सक्रियता बढ़ जाती है। तस्कर इन दिनों भी अपनी पांव पसारने लगे हैं।