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कोविड के कारण जीवंत हुई गुरुकुल की परंपरा

अरविद राणा हजारीबाग आपदा को अवसर में बदला जा सकता है। पीएम के इस आह्वान का असर दिखने

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 10:55 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 05:10 AM (IST)
कोविड के कारण जीवंत हुई गुरुकुल की परंपरा
कोविड के कारण जीवंत हुई गुरुकुल की परंपरा

अरविद राणा, हजारीबाग : आपदा को अवसर में बदला जा सकता है। पीएम के इस आह्वान का असर दिखने लगा है। कोविड 19 को लेकर जारी लॉकडाउन निर्देशों के कारण करीब साढ़े पांच माह से शिक्षण संस्थान बंद हैं, तो ऐसे में कुछ शिक्षण संस्थान द्वारा सकारात्मक पहल की गई है। इसी क्रम में शहर के एक विद्यालय द्वारा गुरुकुल की प्राचीन भारतीय परंपरा को साकार किया जा रहा है। शहर के बिहारी बालिका उच्च विद्यालय के शिक्षकों द्वारा पठन-पाठन बंद होने और स्मार्ट फोन से वंचित विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी कराने के लिए विद्यालय को ही गांव तक पहुंचाया जा रहा है। पिछले एक माह से बिहारी बालिका स्कूल के शिक्षक रंजीत कुमार, रेणु कुमारी, जया कुमारी, जितेंद्र कुमार, सादिक हुसैन, ममता कुमारी के अलावा प्रधानाध्यापक रुबी वर्मा हैं। कटकदमदाग प्रखंड के मसरातू, कदमा, कस्तुरीखाप, कटकमसांडी के पेलावल सहित शहरी क्षेत्र के कुम्हार टोली, विष्णुपुरी, रामनगर में पहुंच कर न सिर्फ कक्षाएं ले रहे हैं बल्कि आगामी बोर्ड परीक्षा की तैयारी भी करा रह है। हर दिन शिक्षकों की उपरोक्त गांवों में रोस्टर के हिसाब से कक्षा लगती है। इनके नायाब प्रयास को ग्रामीणों का भी साथ मिला है। जिसका लोग प्रशंसा कर रहे है। शिक्षक जब खुले आसमान के नीच शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कक्षाएं लेते हैं तो साक्षात गुरुकुल की परंपरा साकार होती दिखती है। जानकारी के अनुसार विद्यालय में 62 छात्र नामांकित है। विद्यालय में छह शिक्षक है। यहां मसरातू, पेलावल, कस्तुरीखाप, रामनगर, कदमा, कुम्हारटोली आदि स्थानों से बिहारी बालिका विद्यालय में छात्र पढ़ने आते है। स्कूल बंद होने के कारण यहां के शिक्षक विद्यालय से पांच से दस किलोमीटर दूर जाकर कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। बताया कि पांच दिन कक्षा लगती है। हर दिन दो घंटे की कक्षा लगती है। दस से 12 बजे का समय निर्धारित किया गया है। सभी शिक्षकों को रोस्टर के हिसाब से कक्षा का जिम्मा दिया गया है। शनिवार को पढ़ाए गए विषयों का टेस्ट होता है। शिक्षकों ने बताया कि मार्च में दशम बोर्ड की परीक्षा होगी। कई विद्यार्थियों के पास स्मार्ट फोन नहीं है। जिनके पास है भी उनकी रुचि पढ़ाई में नहीं होती। इसी कारण यह पहल की गई है।

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- गांवों में कक्षा उद्देश्य ही नहीं बल्कि उन विद्यार्थियों के घर से सीधे जुड़ने का मौका मिला है। हमारे शिक्षक बेहतर कर रहे है। आपदा को हमने अवसर में बदलने का प्रयास किया है। कक्षा जबतक सुचारु नहीं होता हमारी पूरी टोली गांव में हीं कक्षा चलाएंगे।

- रूपी वर्मा, प्रधानाध्यापक, बिहारी बालिका उच्च विद्यालय, हजारीबाग

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बिहारी बालिका विद्यालय के शिक्षक बेहतर उदाहरण पेश कर रहे हैं । कई शिक्षक इस तरह के कार्य कर रहे है। यह सराहनीय है और लॉकडाउन में यह उदाहरण बना है। अधिक से अधिक शिक्षक इस अभियान में शामिल हो यह अपेक्षा विभाग को है। वैसी इसी तरह का निर्देश विभाग द्वारा सभी विद्यालयों को दिया गया है

लुदी कुमारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, हजारीबाग

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