विद्यार्थियों के लिए क्षेत्र परिभ्रमण महत्वपूर्ण : कुलपति
हजारीबाग टांडा से बिरहोर कॉलनी की यात्रा जीवन में आनेवाले परिवर्त्तन का घोत्तक है। जंगल
हजारीबाग: टांडा से बिरहोर कॉलनी की यात्रा जीवन में आनेवाले परिवर्त्तन का घोत्तक है। जंगल और जमीन जनजातियों की प्राणवायु है तथा उनके दांपत्य जीवन का आधार और कारक जंगल ही है। उक्त बातें विभावि के कुलपति डॉ. रमेश शरण ने मानव विज्ञान के 49वें राष्ट्रीय सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए कही। विभावि के विवेकानंद सभागार में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी में डॉ. शरण ने कहा कि जनजातियों के विकास को हम कैसे देखते हैं, यह महत्वपूर्ण है। उनके सोच में बदलाव कैसे लाया जाए इसके लिए मानवीय व्यवहार को परखना होगा।
कुलपति ने कहा कि विद्यार्थियों को क्षेत्र परिभ्रमण अवश्य करना चाहिए क्योंकि वास्तव में एंथ्रोपॉलजी झारखंड में ही बिखरा पड़ा है। जमीन का हकदार कौन है, इस पर भी बहस की जरूरत है। संथाल परगाना और बोलपुर के संथालों में भिन्नता है, इस पर बहस होनी चाहिए।
विभावि के प्रतिकुलपति डॉ. कुनूल कंदीर ने कहा कि यह सेमिनार निश्चित तौर पर पूरे प्रदेश के लिए लाभकारी रहेगा।
कुलसचिव डॉ. बंशीधर रूखैयार ने कहा कि झारखंड जैसे जनजातिय बहुल इलाके में इस तरह के आयोजन का विशेष महत्व है। मानव विज्ञान के अध्ययन से सभ्यता की परतें खुलती है तथा मानव अपने परिवर्तन, विकास और संघर्ष की गाथा से रूबरू होता है।
कोलकाता से आए डॉ. मुखोपाध्याय ने एंथ्रोपॉलजी सोसायटी की स्थापना और इसके इतिहास की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में 642 जनजातियां विभिन्न क्षेत्रों में निवास करती है। भोपाल से आए डॉ. सरिता कुमार चौधरी ने कहा कि मानव विज्ञानियों के लिए मानव विज्ञान का अध्ययन करना जन्म सिद्ध अधिकार है। डॉ. आर के दास का विचार था कि मानव विज्ञान एक विस्तृत एवं विविधतापूर्ण विष्य है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुबीर विश्वास एवं डॉ. मुक्ता सिन्हा ने संयुक्त रूप से की। डॉ. गौतम कुमार बेरा ने अतिथियों का परिचय करवाया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गंगानाथ झा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आगत अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि 12 राज्य के प्रतिनिधियों के द्वारा संगोष्ठी में भाग लेना पूरे विश्वविद्यालय के लिए प्रसन्नता की बात है। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के तमाम पदाधिकारीगण, शिक्षकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।