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कैमिकलयुक्त रंगों से बेहतर हैं पलाश फूलों से बने रंग

टाटीझरिया रंगों का त्योहार होली निकट आते ही लोगों में होलियाना रंग चढ़ने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 08:22 PM (IST)
कैमिकलयुक्त रंगों से बेहतर हैं पलाश फूलों से बने रंग
कैमिकलयुक्त रंगों से बेहतर हैं पलाश फूलों से बने रंग

टाटीझरिया : रंगों का त्योहार होली निकट आते ही लोगों में होलियाना रंग चढ़ने लगा है। हजारीबाग जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में होली का धूम अभी से ही देखने को मिल रहा है। चौक-चौराहे, खासकर बस स्टैंड के आसपास लोग अभी से ही होलियाना अंदाज में दिख रहे हैं। होली कहने मात्र से आंखों के सामने लाल, पीला, हरा,काला रंग घूमने लगता है। उधर होली आने से पूर्व ही ग्रामीण क्षेत्रों एवं जंगलों में पलाश के फूल खिलने भी शुरू हो गए हैं। पलाश के फूल से छटा सिन्दूरी हो जाती है, इसका नजारा अभी ग्रामीण इलाकों एवं जंगलों में देखते ही बन रहा है। पेड़ों पर पलाश के फूल होली के कुछ दिन बाद तक ही रहते हैं, इसके बाद फूलों का झड़ना शुरू हो जाता है। पलाश के फूल ही नहीं इसके पत्ते और इसके जड़ों का भी आयुर्वेदिक तथा धार्मिक महत्व काफी है। होली में इनके फूलों का महत्व काफी बढ़ जाता है। आज भी ग्रामीण इलाकों में कुछ लोग पलाश के फूल को पानी में उबालकर रंग तैयार कर होली खेलते हैं। उसके फूलों को कूट-पीसकर रंग तैयार किया जाता है। यह शरीर के लिए उपयोगी भी है। क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पलाश के फूल होने के बावजूद इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं हो पा रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों की मानें तो होली में पलाश के फूल से रंग बनाने के अलावा इसके फूलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चमक बढ़ती है। इसके अतिरिक्त पलाश की फलियां कृमिनाशक का भी काम करती है। प्राचीन काल से कुछ वर्षों पूर्व तक होली सिर्फ पलाश के फूलों से बने प्राकृतिक रंगों से ही खेली जाती थी। ये प्राकृतिक रंग चेहरे व त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होते थे, परंतु समय बदलने के साथ अब लोग कैमिकलयुक्त रंगों से होली खेलने लगे हैं तथा अब प्राकृतिक रंगों का उपयोग नहीं के बराबर होता है। कैमिकलयुक्त रंगों का शरीर पर हानिकारक प्रभाव भी पड़ता है। पलाश फूल के पानी से स्नान करने से ताजगी महसूस होती है तथा इससे गर्मी का एहसास भी नहीं होता और लू भी नहीं लगती है। पलाश के फूलों की उपयोगिता को कई लोग जानते तक नहीं है, जिस कारण ये बेशकीमती फूल पेड़ से नीचे गिरकर नष्ट हो जाते हैं। कहा जाता है कि पलाश के फूल देवी-देवताओं को नहीं चढ़ाए जाते, परंतु पलाश भोजन करने के लिए पवित्र माना जाता है।

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