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विभावि में शोध और शिक्षण की होगी नई शुरूआत

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय एवं इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एग्रीक्लचरल बायोटेक्नॉलॉजी के बी

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 06:56 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 06:56 PM (IST)
विभावि में शोध और शिक्षण की होगी नई शुरूआत
विभावि में शोध और शिक्षण की होगी नई शुरूआत

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय एवं इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एग्रीक्लचरल बायोटेक्नॉलॉजी के बीच बुधवार को हस्ताक्षर किया गया। विभावि की ओर से कुलपति डॉ. रमेश शरण तथा आईआईएबी की ओर से निदेशक डॉ. टीआर शर्मा ने हस्ताक्षर किया। इस समझौते से पठन-पाठन, शोध, शिक्षण एवं प्रशिक्षण के नए युग की शुरूआत होगी। शोध के विद्यार्थी रांची जाकर अपने शोध के कुछ हिस्सों को पूरा कर सकते है। संस्थान के वैज्ञानिक अब को-गाइड के रूप में सहयोग दे सकेंगे। मालूम हो कि यह संस्था भारत सरकार के एक प्रतिष्ठित शोध संस्थान के रूप में विकसित हो रही है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. रमेश शरण ने कहा कि इस समझौते से झारखंड के स्थानीय कृषि को उन्नत करने में सहायता होगी। प्रति कुलपति, प्रो. कुनुल कंडीर ने कहा कि झारखंड में फल एवं सब्जियों के ऐसे कई किस्म है जो विलुप्त हो रहे है। इनका संरक्षण आवश्यक है।

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इस अवसर पर प्रो. अनवर मल्लिक, डॉ. पीके मिश्रा, डॉ. आरके द्विवेती, डॉ. एनएच सिन्हा, डॉ. कामेश्वर प्रसाद, कुलसचिव डॉ. बंशीधर रूखैयार, प्रोक्टर डॉ. एसके सिन्हा आदि उपस्थित थे। आइआइएबी की तरफ से डॉ. विप्लव सरकार एवं डॉ. विनय कुमार ¨सह, वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित थे।

एमओयू पर साक्षी के रूप में विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डॉ. बंशीधर रूखैयार एवं प्रो. डॉ. अनवर मल्लिक, निदेशक बायोटेक्नोलॉजी एवं संस्थान आइआइबी की ओर से वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विप्लव सरकार एवं डॉ. विजय कुमार ¨सह ने हस्ताक्षर किए। उक्त जानकारी पीआरओ डॉ. प्रमोद कुमार ने दी।


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