सत्ता की नहीं सच्चाई की थी कर्बला की जंग
हजारीबाग : हजरत इमाम हुसैन रजि. और यजीद मलऊन के बीज जो जंग हुई थी वह एक्तदार यानी सत्ता की जंग नहीं
हजारीबाग : हजरत इमाम हुसैन रजि. और यजीद मलऊन के बीज जो जंग हुई थी वह एक्तदार यानी सत्ता की जंग नहीं थी बल्कि हक व सच्चाई और बातिल यानी झूठ के बीच की जंग थी। उक्त बातें दारूल ओलूम गुलशने मदीना के बानी और मशहूर आलिमे दीन मौलाना जाबिर हुसैन सिद्दीकी ने मुहर्रम के हवाले से कही। जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा कि तारीख गवाह है कि आज तक दुनिया में हजारों जंग हुईं। उन सारी जांगों को लोगों ने एकदम से भुला दिया मगर मैदाने कर्बला हुई हक व बातिल की जंग रहती दुनिया तक याद रखी जाएगी। मुहर्रम की 10वीं तारीख को मैदाने कर्बला में खानदाने अहले बैत के साथ जो सुलूक यजीद पलीद उसकी फौज ने किया उसे पूरी दुनिया याद करती है। दर असल यह जंग मनसब नहीं इंसानियत की जंग थी। यही वजह है कि हजरत इमाम हुसैन रजि. ने उस जंग में अपने पूरे खानदान को कुर्बान तो कर दिया मगर अमीरे वक्त यजीद जो बातिल और बुराई का प्रतीक था, उससे समझौता नहीं किया। दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जो अपने बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी को अल्लाह की रजा की खतिर कुर्बान कर दे। साथ ही साथ् हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करता रहे। खुदा की रजा के लिए अपने आप को और अपनी औलाद को कुर्बान करना और उस पर सब्र करना हजरत इमाम हुसैन रजि. और उनके हौसले की ही बात थी।