Lok Sabha Polls 2019: दीवारों पर लिखे नारे अब खुद ही मिटा रहे कार्यकर्ता
Lok Sabha Polls 2019. जिला प्रशासन की सख्ती के कारण जिले में विभिन्न पार्टी के कार्यकर्ता सरकारी पोल खंभे दीवारों और निजी घरों में लिखे पार्टी समर्थित नाराेें को अब खुद ही मिटाने लगे हैं।
हजारीबाग, जासं। लोकसभा चुनाव को लेकर कमर कस चुका जिला प्रशासन कोई भी चूक नहीं चाहता है। चुनाव को लेकर सभी तरह के एहतियात को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने सख्ती भी करनी शुरू कर दी है। प्रशासन की सख्ती कुछ इस तरह दिखाई दे रही है कि जिले में विभिन्न सरकारी पोल खंभे, दीवारों और निजी घरों में लिखे पार्टी समर्थन में नारे को संबंधित पार्टी के कार्यकर्ता खुद मिटाने लगे हैं।
इतना हीं नहीं, प्रशासन पोलिंग बूथ के 100 मीटर अंदर आने वाले राजनीतिक पार्टी के कार्यालय तक को बंद करा रहा है। थानावार उप्रदवियों की सूची बनाकर 107, जिला बदर की कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। वहीं आपराधिक छवि के लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कवायद तेज हो गई है। थानों में जिला की ओर से जारी निर्देश के आलोक में लाइसेंसी हथियार जमा कराए जा रहे हैं। वहीं ऐसे लोगों की पहचान भी जिला प्रशासन करा रहा है, जिनसे सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का खतरा है।
बैठक छोड़ दीवारों पर लिखे नारे मिटा रहे कार्यकर्ता विष्णुगढ़
गुरुवार को प्रखंड में चुनाव को लेकर प्रशासनिक सख्ती का असर दिखने लगा है। सड़क किनारे राजनैतिक दलों के लिखे इबारत मिटाने में पार्टी कार्यकत्र्ता जुटे रहे। गत दिन नरकी में मुखिया द्वारा जलमीनार के उद्घाटन की खबर वायरल होने पर विष्णुगढ़ थाने में आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। इसकी खबर के बाद कल तक दीवारों में लिखे इबारत मिटाने में लापरवाह राजनैतिक दलों के कार्यकत्र्ता गुरुवार से अचानक सक्रिय हो गए। आचार संहिता उल्लंघन को लेकर होने वाले मुकदमें का भय राजनैतिक दलों के कार्यकत्र्ता में गजब देखने को मिल रहा है।
गुरुवार को होली को लेकर विष्णुगढ़ थाने में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई थी। वहां एक राष्ट्रीय पार्टी के मंडल अध्यक्ष उपस्थित थे। उन्हें दीवारों में लिखे पार्टी के श्लोग्न मिटाने की याद किसी ने दिलाई। वे बैठक छोड़कर भागे-भागे दीवारों में लिखे श्लोग्न मिटाने में जुट गए। झामुमो नेता भी दीवारों में लिखे पार्टी संबंधी प्रचार को मिटाने में तल्लीनता से जुटे हैं। समय रहते दीवारों में लिखे प्रचार संबंधी नारे मिटाने में राजनैतिक दलों के कार्यकत्ताओं का पसीना छूट रहा है।