Lok Sabha Polls 2019: अब भी मयस्सर नहीं है लोगों को शुद्ध पेयजल
Lok Sabha Polls 2019. गिरते भू-गर्भ जलस्तर के कारण लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बड़ी समस्या बनती जा रही है।
हजारीबाग, [रमण कुमार]। गिरते भू-गर्भ जलस्तर के कारण लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बड़ी समस्या बनती जा रही है। वहीं हजारीबाग जैसी जगहों पर जहां भू-गर्भ जल में आर्सेनिक व फ्लोराइड सहित अन्य हानिकारक तत्वों की बड़ी मात्रा है, वहां लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं कराना उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ही माना जाएगा।
लगभग 2.5 लाख की आबादी वाले इस शहर के लिए शुद्ध पेयजल अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जिसके समाधान करने का वादा तो हर कोई करता है, लेकिन वादा पूरा कोई नहीं करता है। आज आलम यह है कि शुद्ध पेयजल के लिए बोतलबंद पानी का उपयोग करना लोगों की विवशता है।
60 वर्ष पुराना है वर्तमान पाइपलाइन सिस्टम
जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार के द्वारा लगभग 60 वर्ष पूर्व 60 के दशक में छडवा डैम में पंप हाउस बैठाकर पाइपलाइन सिस्टम तैयार कर इंद्रपुरी, बस स्टैंड व पीटीसी में बनाए गए टावरों के माध्यम से जलापूर्ति प्रारंभ की गई। लेकिन समय के साथ बढ़ती आबादी के दबाव को लेकर पानी की खपत बढ़ती गई व लोगों के लिए पेयजल की समस्या बढ़ गई।
फिर लगभग 42 वर्षों के बाद वर्ष 2004 में छडवा डैम में ही एक दूसरा पंप हाउस बनाया गया। इन दोनों पंप हाउस के माध्यम से शहर की छह जलमीनारों के माध्यम से प्रतिदिन छह लाख गैलन शुद्ध पेयजल लोगों को उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है। लेकिन लगभग छह दशक पूर्व लगे पाइपलाइन के फटने के कारण गंदा पानी आने लगा। मजबूरन लोग बोतलबंद पानी पीने को विवश हैं।
वास्तव में 60 के दशक के मात्र तीस हजार की शहरी आबादी आज तीन लाख को पार चुकी है। लेकिन व्यवस्था पुरानी रहने के कारण लोगों को शुद्ध पेयजलापूर्ति नहीं होती है। यहां यह ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री के द्वारा विगत 17 फरवरी को कोनार जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया गया है। इस योजना के माध्यम से देश के 56 हजार घरों में पेयजलापूर्ति की जाएगी। इस योजना के पूरा होने में लगभग तीन वर्ष का समय लगेगा।