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Social Media Viral: मालिक की मौत पर रोया बछड़ा, चिता की परिक्रमा कर मुखाग्नि में हुआ शामिल

वृद्धों के कहने पर जब उसे शव के पास जाने दिया गया तो उसने शव को चूमा और फिर रंभाने लगा। यह देखकर हर एक की आंखें नम हो गई और उसे लोगों ने मृतक मेवालाल का पुत्र की संज्ञा देकर दाह संस्कार में शामिल भी कराया।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 11 Sep 2022 04:42 AM (IST)Updated: Sun, 11 Sep 2022 04:42 AM (IST)
Social Media Viral: मालिक की मौत पर रोया बछड़ा, चिता की परिक्रमा कर मुखाग्नि में हुआ शामिल
मालिक की मौत पर रोया बछड़ा मुखाग्नि में हुआ शामिल

जागरण टीम, हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग के चैथी गांव में एक बछड़ा अपने मालिक की मौत पर श्मशान घाट पहुंच कर रोया ही नहीं, बल्कि चिता पर रखे शव की अन्य लोगों के साथ परिक्रमा की। चूमा और तब तक वह वहां से नहीं हटा जब तक पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन नहीं हो गया। बता दें एकाएक एक बछड़े को शव के पास आकर रंभाता देख लोगों ने पहले इसे हल्के में लिया और फिर डंडे से मारकर भगाने की कोशिश की। परंतु, उनकी आंखें तब फटी की फटी रह गई जब बछड़ा बार-बार शव के पास आने लगा।

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वृद्धों के कहने पर जब उसे शव के पास जाने दिया गया तो उसने शव को चूमा और फिर रंभाने लगा। यह देखकर हर एक की आंखें नम हो गई और उसे लोगों ने मृतक मेवालाल का पुत्र की संज्ञा देकर दाह संस्कार में शामिल भी कराया। पूरी घटना लोगों ने अपने कैमरे में कैद की और इंटरनेट मीडिया पर यह वायरल भी होता रहा। बता दें, श्मशान घाट पर पहुंचे लोगों को बछड़े के बारे में जानकारी हुई तो फिर उसे लोगों ने स्नान कराया। शांतिपूर्वक स्नान के बाद बछड़ा दाह संस्कार में शामिल हुआ और फिर वह परिक्रमा के लिए चला गया।

तीन माह पूर्व बेच दिया था बछड़ा

लोगों ने बताया कि मेवालाल का निधन शनिवार की सुबह हो गया था, उनके भाई भतीजे ने भव्य तरीके से उसकी अंतिम यात्रा निकाली। गाजे-बाजे के साथ वे श्मशान घाट पहुंचे थे। बताया कि मेवालाल ने एक गाय पाल रखी थी, उससे वह बछड़ा हुआ था। बछड़े को वह बहुत प्यार करते थे, परंतु पैसे की तंगी के कारण तीन माह पूर्व उसे बगल के गांव पिपरा में बेच दिया था।

श्मशान घाट पहुंचते ही आ पहुंचा बछड़ा

लोग इसे चमत्कार बता रहे थे, बताया कि यह कैसे संभव है कि जिसे तीन माह पूर्व दूसरे गांव में बेच दिया गया हो। उसे अपने मालिक की मौत हो जाने की जानकारी मिल जाए और वह उसे देखने श्मशान घाट आ जाए, यह अपने आप में अकल्पनीय है। परंतु यह घटना दर्जनों लोगों के सामने हुई और लोग इसे ईश्वर की कृपा और पुत्र के रूप में बछड़ा का आगमन बता रहे थे।


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