स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन के लाले, कोरोना से कैसे होगी लड़ाई
हजारीबाग पूरे विश्व के लिए बड़ा संकट बना कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने
हजारीबाग : पूरे विश्व के लिए बड़ा संकट बना कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए जिन स्वास्थ्यकर्मियों पर भरोसा किया जा रहा है, उनमें से कई तो बीते छह माह से वेतन भुगतान नहीं हो पाया है। वेतन के अभाव में इन कर्मियों के सामने भूखमरी की स्थिति बन गई है। लेकिन अब भी वेतन का फाईल लालफीताशाही के जंजालों में ही अटका हुआ है। अब जब कोरोना वायरस जैसा खतरनाक संकट हमारे सामने हैं, तो जिन कर्मियों के उपर हमें कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने की जिम्मेवारी है, उन्हें तो वेतन हीं नहीं मिल पाया है। आखिर बिना वेतन भुगतान के के खाली पेट कोई कर्मी कैसे व कितने दिनों तक काम कर सकता है। स्वास्थ्य कर्मियों की यह स्थिति निश्चित तौर पर कोरोना वायरस को लेकर लड़ी जानेवाली लड़ाई को किस प्रकार प्रभावित कर सकती है, इसे सहज ही समझा जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक जिला के खनिज संपन्न क्षेत्रों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जिला माइंस ट्रस्ट के अंतर्गत डाक्टर सहित हेल्थ मैनेजरर्स , लैब टेक्निशियन व एएनएम की बहाली की गई थी। हालांकि नियुक्ति के बाद सभी डाक्टरों व कर्मियों का वेतन भुगतान समय से किया जाता रहा है। लेकिन बीते छ: माह से इन कर्मियों वेतन भुगतान पर ग्रहण लग गया। इस कारण आजिज आकर अब तक कई कर्मियों ने नौकरी छोड़ दी है। वर्तमान में डीएमएफटी के अंतर्गत तीन डाक्टर्स, आठ हेल्थ मैनेजरर्स, नौ लैब टेक्निशियन व इक्कीस एएनएम कार्यरत हैं। ये सभी जिला के सुदूरवर्ती दुर्गम क्षेत्रों में पदास्थापित हैं। इनकी बदौलत ही जिला स्वास्थ्य विभाग का स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का ग्राफ हमेशा उंचा रहा है। लेकिन छ: माह से वेतन भुगतान नहीं होने के कारण इन सबों के समक्ष भुखमरी की स्थिति बन गई है। कार्यरत सभी कर्मी समझ नहीं पा रहे हैं कि अब आगे वे अपनी नौकरी कैसे जारी रख सकते हैं। वहीं इन कर्मियों के नौकरी छोड़ने से कोरोना के विरूद्ध लड़ाई कैसे जीती जा सकती है?