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दशलक्षण के आठवें दिन मना उत्तम त्याग धर्म

जासं हजारीबाग स्थानीय दिगंबर जैन समाज द्वारा पर्यूषण पर्व व दशलक्षण के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 09:15 PM (IST)
दशलक्षण के आठवें दिन मना उत्तम त्याग धर्म
दशलक्षण के आठवें दिन मना उत्तम त्याग धर्म

जासं, हजारीबाग : स्थानीय दिगंबर जैन समाज द्वारा पर्यूषण पर्व व दशलक्षण के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म के रूप में मनाया गया। प्रात: 7:00 बजे व प्रात: 8:00 बजे बाड़म बाजार दिगंबर जैन मंदिर व बड़ा बाजार जैन मंदिर में भगवान महावीर का सामूहिक कलशाभिषेक, पूजन पाठ का आयोजन श्रद्धापूर्वक भक्ति नृत्य के साथ संपन्न हुआ। बाहर से आए विद्वान पंडित पंकज जी शास्त्री उदयपुर ने उत्तम त्याग धर्म के दिन कहा कि जहां तप होगा वही त्याग होगा। स्वर्ण की अग्नि में तपायें जाने पर वह शुद्ध हो जाता है। उसमें पाई जाने वाली किह कालीमा का त्याग हो जाता है। इसी तरह तपस्या की अग्नि में तप जाने से आत्मा से विकारी भाव का परित्याग हो जाता है। त्याग में आनंद है, ग्रहण में विकल्प। त्याग को यद्यपि दान के रूप में स्वीकार किया जाता है परंतु दोनों में अंतर है। दान में व्यक्ति को पहले संग्रह करना पड़ता है,तब किसी के लिए दिया जा सकता है, परंतु त्याग में व्यक्ति स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि एक छोटे से त्याग से भी मानव मनुष्य से देव बन सकता है। त्याग धर्म का वर्णन करते हुए श्रावकों को चार प्रकार का दान करने का उपदेश दिया। पंडित पंकज जी ने कहा कि आज आप एक अपनी प्रिय चीज का त्याग करें तभी उत्तम त्याग धर्म की सार्थकता होगी दान करने से ही कृत्री, श्रेय, पुण्य मिलता है। दान आत्मा का स्नान है। छोड़ने से जीवन में पवित्रता आती है। अंत में उन्होंने राजा श्रेयांश, कर्ण और भामाशाह के उदाहरण देकर बताया कि इन दानवीरों का त्याग आज भी जन-जन के हृदय में समाया हुआ है। दोपहर में जैन युवा परिषद के द्वारा रंगों की दुनिया, छोटे बच्चों की प्रतियोगिता रंग भरो का कार्यक्रम बड़ा बाजार जैन भवन में हुआ। संध्या में महाआरती व दशलक्षण व्रतधारियों के लिए समाज की ओर से विनती का कार्यक्रम हुआ। पंडित जी का शास्त्र वाचन एवं रात्रि में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। मीडिया प्रभारी विजय लुहाड़ीया ने बताया कि पर्यूषण पर्व हमें जीवन में अनुशासन, मर्यादा, संयम और त्याग की शिक्षा देता है। जीवन में नए उत्साह की किरण को जागृत करता है। 12 सितंबर दिन गुरुवार को अनंत चतुर्दशी की शोभायात्रा दोपहर एक बजे बाड़म बाजार से निकलेगी।

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