कलम करवट बदल लिख देती है दाना-पानी
जासं हजारीबाग जब भी मैं लिखना चाहती हूं प्रेम की मधुर यादें कलम करवट बदल लिख देती है
जासं, हजारीबाग : जब भी मैं लिखना चाहती हूं प्रेम की मधुर यादें, कलम करवट बदल लिख देती है दाना-पानी। यह पंक्तियां जब डा. प्रमिला गुप्ता ने सुनाई तो लोग वहा वाह कर उठे। अवसर था झारखंड जन संस्कृति मंच द्वारा प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को होने वाली मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का। मंच की अध्यक्षता डा. गुप्ता ने अपनी दो कविताएं हिम्मत और एकांत में रोती स्त्री प्रस्तुत की थी। देवांगना चौक कोर्रा में होने वाले कार्य्रक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डा. शंभु बादल ने की। इस अवसर पर मौजूद साहित्यकारों ने डा. बादल को बांदा में केदारनाथ अग्रवाल सम्मान 2019 से सम्मानित होने पर बधाई एवं शुभकामना दी। साथ ही उनका नागरिक सम्मान किए जाने का भी निर्णय हुआ। मौके पर डा. बादल ने कहा कि कविता आदमी और समाज को बेहतर बनाती है। इस अवसर पर राजेश दूबे ने बांदा यात्रा के बरे में बताया। मौके पर कोलंबा की छात्रा रजिया बानो ने घुल गया है जहर आज के रिश्तों में सुनाकर ाहवाही बटोरी। भुनेवर सिंह मुन्ना ने मगही काविता, टाटा की छात्रा श्रूति आशा ने तेजाब और वे चार लोग सुनाई और प्रशंसा पाइ। मौके पर गुनगुन गुप्ता, कवि राजेश दूबे, प्रो. दीपक मिश्रा, शिक्षक देवाशीष महतो, कवि अरविद, कवि विद्रोही जी ने अपनी अपनी रचनाएं पेश की और खूब प्रशंसा बटोरी। शिक्षक राम दास गोप, शिक्षक रामेश्वर गुप्ता, प्राध्यापक डा.सीपी दांगी, डा. हीरा लाल साहा ने आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। मंच संचालन डा. प्रमिला गुप्ता और धन्यवाद ज्ञापन शंकर गुप्ता ने किया।