प्रयास ऐसा हो कि पहाड़, टांड़ व खेत में रोक सकें पानी
संवाद सहयोगी हजारीबाग जबतक हमारे गांव और नगर जलदार नहीं बनेंगे तब तक विकास की बात
संवाद सहयोगी, हजारीबाग : जबतक हमारे गांव और नगर जलदार नहीं बनेंगे तब तक विकास की बात करनी बेमानी होगी। हम कुआं खोद कर बोरिग कर धरती मां का पेट खाली कर रहे हैं। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम धरती मां के पेट को भरें। इसके लिए पहाड़ का पानी पहाड़ पर लूज बोल्डर चेकडैम से रोकना होगा। टाड़ का पानी टीसीबी और खेत का पानी मेड़बंदी कर खेत में रोकना होगा। जल संरक्षण के लिए सबसे जरूरी है कि हम अधिक से अधिक पौधे लगाएं और पेड़ों को विस्तार दें। उक्त बातें पर्यावरणविद सह शिक्षक डा. मनोज सिंह ने दैनिक जागरण के जल संचयन अभियान के तहत बातचीत में कही।
इन्होंने जल संरक्षण के लिए पौधरोपण का सिर्फ सुझाव ही नहीं दिए बल्कि इन्हें अपने जीवन में उतारा है। आज झील सहित दर्जनों स्थानों पर ये पांच हजार से भी अधिक पौधे लगा चुके हैं। केवल शहरी क्षेत्र में 17 सौ पौधे लगा चुके हैं। डा. मनोज ने बताया कि जन सहयोग से सब संभव है। हिदू धर्म दर्शन पर बोलते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों का धर्म से नदी, पहाड़ और पर्यावरण को जोड़ने का उद्देश्य इसका संरक्षण था। आज उन्हीं के वशंज इससे नाता तोड़ लिए हैं। हमारी सोच पर धूल जम गई है। लेकिन हमारे डीएनए में यह आज भी विद्यमान है। आज आवश्यकता है इस धूल को झाड़ने और संस्कृति को समझने की। पीएम भी इस दिशा में काम कर रहे हैं।
मनरेगा की योजना से साढे़ 12 हजार रुपये की राशि खर्च कर हम डेढ़ करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं। इसे धरती में सुरक्षित कर सकते हैं। यह टीसीबी योजना है। ट्रेंच के माध्यम से हम बहते पानी को चलना और चलते पानी को ठहरना सीखा सकते हैं। पहाड़ के पानी को भी इसी योजना से धरातल पर लाना है। यह बेहद आसान है और सरकार इसमें पूर्ण सहयोग कर रही है।
बॉक्स---रांची ओरमांझी के आरा केरम गांव ने रोका पानी
सघन पौधरोपण से जल संचयन और पर्यावरण संरक्षण किया जा सकता है। यह संभव जन सहयोग से ही हो पाएगा। इसका जीवंत उदाहरण रांची जिले का ओरमांझी के टुंडा हुली पंचायत का आरा केरम गांव है। यहां 60 एकड़ टाड़ के पानी को टीसीबी के माध्यम से ग्रामीणों ने रोक दिया। सघन पौधरोपण, जन सहयोग से
पौधों को पेड़ बनाना उतना ही कठिन है जितना अपने संततियों को संस्कार वान बनाना। हमारे राज्य का यह दुर्भाग्य है कि हम जानवरों को खुला छोड़ते हैं और खेतों को घेरते हैं। हमें यह जुगाड़बंदी और कुल्हाड़बंदी का संकल्प लेना होगा। राजस्थान के राजसमंद जिले के पिपलांत्री पंचायत में ग्रामीण सघन वन रोपण की सहायता से पांच सौ फिट नीचे जा चुके जल स्तर को पांच सालों में 25 फिट पर ले आए। यहां संभव हुआ। पहाड़ के पानी को पहाड़ पर रोका और अपने पंचायत को तीन लाख पौधे लगाकर हरा भरा कर दिया। यहां कन्या के जन्म पर 111 पौधे लगाने का प्रावधान है।
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