वाटर हावेस्टिग को ले निगम प्रशासन सख्त : उपमहापौर
हजारीबाग गर्मी का मौसम आते ही शहर में पेयजल एक बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आता है।
हजारीबाग : गर्मी का मौसम आते ही शहर में पेयजल एक बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आता है। तेजी से गिरते भू-गर्भ जलस्तर के कारण कुंआ व हैंडपंप बेकार साबित होने लगते हैं। वहीं बारिश के दिनों में बारिश का लाखों लीटर पानी बहकार बेकार हो जाता है। इसे लेकर दैनिक जागरण ने जल संचयन को लेकर एक मुहिम चलाई है। कितना-कितना पानी शीर्षक मुहिम को लेकर दैनिक जागरण ने नगर निगम के उपमहापौर राजकुमार लाल से बातचीत की। प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश ..
प्रश्न : दैनिक जागरण द्वारा चलाई जा रही कितना-कितना पानी मुहिम को आप कैसे देखते हैं?
उत्तर : जल संचयन को लेकर दैनिक जागरण द्वारा चलाई जा रही मुहिम काफी सराहनीय है। इस मुहिम को लेकर अखबार में आनेवाली खबरों को मैं प्रतिदिन पढ़ता हूं। यह बड़ी खुशी की बात है कि जल संचयन को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए एक मुहिम चलाई जा रही है। वास्तव में वर्तमान समय में इसकी आवश्यकता भी है। इसके लिए निगम प्रशासन लोगों को सभी प्रकार का अपेक्षित सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रश्न : वर्षा जल संचयन को लेकर निगम प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाया जा रहा है?
उत्तर : नगरपालिका अधिनियम के अंतर्गत 7 डिसमिल व इससे अधिक भूमि पर निर्मित मकान या भवन के लिए वर्षा जल संचयन की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी है। इसे लेकर निगम प्रशासन पूरी तरह से सख्त है। इसका अनुपालन नहीं करनेवाले मकान व भवन मालिकों को होल्डिग टैक्स का पचास प्रतिशत जुर्माना के रूप में देना होगा, लेकिन शहरी क्षेत्र में 7 डिसिमल से कम भूमि पर भी मकान या भवन का निर्माण करनेवाले लोगों को वर्षा जल संचयन को लेकर जागरूक करने का कार्य किया जाएगा। ताकि वर्षा के जल का अधिक से अधिक मात्रा में संचयन किया जा सके। प्रश्न : निगम क्षेत्र के पुराने मकान या भवनों में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था किस प्रकार लागू की जाएगी? क्या निगम प्रशासन के पास इसे लेकर कोई योजना है?
उत्तर : निगम क्षेत्र के नए पुराने सभी भवनों के लिए मामूली खर्च पर वर्षा जल के संचयन के लिए योजना तैयार की गई है। इसके तहत एक छिद्रयुक्त प्लास्टिक के ड्रम को लेकर उसे गड्ढा में डालना होता है। इससे ड्रम में जमा जल छिद्रों के माध्यम से जमीन में पहुंचता रहता है। इसे तैयार करने में मुश्किल से ढाई से तीन हजार रुपये का खर्च आता है। वहीं इस कार्य में निगम प्रशासन भी लोगों को यथासंभव सहयोग करेगा।
प्रश्न : निगम क्षेत्र में लोगों के द्वारा बडी तेजी से डीप बोरिग कराया जा रहा है। तेजी से गिरते भू-गर्भ जलस्तर को देखते हुए यह कहां तक सही है?
उत्तर : निगम क्षेत्र में किसी भी प्रकार का बोरिग करवाना चाहे वह सामान्य हो डीप सभी की सख्ती से मनाही है। फिर भी यदि कोई चोरी-छिपे ऐसा करते पाया जाता है तो उसके विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करते हुए जुर्माना भी किया जाता है। वहीं किसी बडे़ भवन या अपार्टमेंट के लिए पीएचडी विभाग की जांच व रिपोर्ट के आधार पर विशेष परिस्थितियों में डीप बोरिग करने की अनुमति दी जाती है। प्रश्न : निगम के द्वारा किए जानेवाली जलापूर्ति या निजी हैंडपंप व बोरिग के माध्यम से लोगों के द्वारा उपयोग किए जाने के बाद प्रतिदिन लाखों लीटर जल बहकर शहर से दूर चला जाता है। इस जल के संचयन को लेकर क्या निगम प्रशासन के पास कोई योजना है?
उत्तर : जल संचयन को लेकर निगम प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है। इस कारण जल संचयन के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। निगम प्रशासन के द्वारा नालियों के निर्माण की योजना में बड़ा बदलाव करते हुए प्रति दस फीट की दूरी पर सोख्ता बनाने का निर्णय किया गया है। साथ ही निगम क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले सभी हैंडपंप के पास भी सोख्ता का निर्माण कराया जाएगा। ताकि उपयोग में आने के बाद जल बहकर कहीं दूर न जाकर उसी भूमि में समाहित होकर जल स्तर को बनाए रखने में मददगार साबित हो।