सीसीएल प्रबंधन के खिलाफ एकजुटता पर बल
संसू चरही सीसीएल का हजारीबाग कोयला क्षेत्र प्रबंधन की उदासीनता के कारण बेलगाम हो गया ह
संसू, चरही : सीसीएल का हजारीबाग कोयला क्षेत्र प्रबंधन की उदासीनता के कारण बेलगाम हो गया है। कोई किसी को सुनने वाला नहीं है। मजदूरों की लड़ाई लड़ने के नाम पर एरिया में कई मजदूर संगठन हैं लेकिन प्रबंधन की अड़ियल नीति के आगे कमजोर हो जा रहे हैं। प्रबंधन आपसी फूट डालकर नीति को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। जरूरत है सभी संगठनों को एक साथ जुड़कर प्रबंधन की गलत नीतियों के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने की। उक्त बातें भामसं के क्षेत्रीय सचिव शंकर सिंह ने कही। कहा कि कंपनी के लोग वेतन सीसीएल का लेते हैं लेकिन काम निजी कंपनियों के लिए करते हैं। जिसका फायदा निजी कंपनियां सीसीएल को नुकसान कराकर अपना काम निकाल रही है। आउटसोर्सिंग कंपनियों का बढ़ावा दिया जा रहा है। स्थानीय युवकों को रोजगार नहीं देकर अफसरों की मर्जी से काम दिलाया जा रहा है। निजी कंपनियों से काम तो कराया नहीं जाता और बढ़ावा उन्हीं को की जाती है। उदाहरण देते हुए कहा कि तापिन साउथ में शुरू किए गए क्रशर कंपनी को सीसीएल नुकसान देने के बाद भी मौन है। कोयले को छोटे छोटे टुकड़े करने से लेकर ट्रांसपोर्टिंग कराने तक उक्त कंपनी को है। आए दिन काम बन्द होने से रेलवे के लिए कोयले की ढुलाई नहीं हो पा रही है। रेलवे द्वारा अब तक कई बार सीसीएल को नुक़सान की भरपाई भी ले चुकी है। भामसं हर परियोजना में पीट मीटिग के माध्यम से मजदूरों के बीच भ्रटाचार के विरुद्ध आंदोलन खड़ा करेगी। संवेदनशील जगहों पर वर्षों से लोग जमे हैं, उनका पर्दाफाश करने की जरूरत बताई है।
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