नियम न नक्शा, खड़ी हो रही इमारत
हजारीबाग हजारीबाग शहर इन दिनों तेजी से कंक्रीट जंगल में तब्दील होता जा रहा है। कहन
हजारीबाग : हजारीबाग शहर इन दिनों तेजी से कंक्रीट जंगल में तब्दील होता जा रहा है। कहने को तो शहर में नगर निगम निकाय कार्यरत है, लेकिन उसकी स्थिति अंधेर नगरी, चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा जैसी है। नगर निगम प्रशासन की शिथिलता के कारण आज तेजी से विकास करते शहर में मनमाने ढंग से मकान व भवनों का निर्माण किया जा रहा है। नक्शा पास करवाने की जहमत वही लोग उठाते हैं, जिन्हें होम लाने के लिए यह करवाना अनिवार्य हो, वरना भवन व मकान बनाने के पूर्व कोई निगम प्रशासन की सोचता भी नहीं है। तेजी से मनमाने ढंग से बननेवाले मकान व भवन न केवल सड़क, नाली व अन्य समस्याएं खड़ी कर रहा है, बल्कि भविष्य में कई दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने का काम करेगा । लेकिन इसकी फिक्र नगर निगम प्रशासन को नहीं है।
जानकारी के अनुसार निगम क्षेत्र में किसी मकान या भवन के निर्माण आदि को लेकर राज्य सरकार द्वारा नगरपालिका अधिनियम 2016 के तहत बायलॉज बनाए गए हैं। बायलॉज के मुताबिक निगम क्षेत्र में किसी भी प्रकार के मकान या भवन निर्माण करने के पूर्व इसका नक्शा निगम प्रशासन से पास कराना अनिवार्य है। लेकिन जब तक कि होम लोन आदि के कारण नक्शा पास कराना अनिवार्य न हो किसी भी भू-स्वामी द्वारा निर्माण करने के पूर्व नक्शा पास नहीं कराया जाता है। वहीं यदि किसी ने नक्शा पास भी करा लिया तो भी निगम के प्रावधानों का खुला उल्लंघन करते हुए मकान व भवन का निर्माण करते हैं। इन सब के बावजूद निगम प्रशासन इस सबसे उदासीन बना रहता है। सिर्फ नोटिस देने के अलावा अब तक किसी के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसका नतीजा है कि इस प्रकार के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।
क्या है प्रावधान
नगरपालिका बायलॉज 2016 के मुताबिक किसी भी भूखंड के केवल 50 से 70 प्रतिशत भूमि पर ही किसी प्रकार का निर्माण किया जा सकता है। इस तरह मकान या भवन निर्माण के लिए कुल भूमि का निर्देशित निश्चित भू-स्वामी को शपथ पत्र भी देना अनिवार्य है। साथ ही व्यवसायिक भवनों के लिए पार्किग जैसी सुविधा देना, अग्निशामक वाहन के जाने के लायक 12 फीट चौड़ी सड़क, पानी की व्यवस्था, जल निकासी की व्यवस्था, रेन वाटर हार्वेस्टिग की व्यवस्था सहित कई प्रावधान शामिल किए गए हैं।