Move to Jagran APP

दुष्‍कर्म के बाद मासूम की हत्‍या के आरोपित को फांसी की सजा, जानें क्या है मामला

girl child murder case. झारखंड के गुमला में दुष्‍कर्म के बाद मासूम की हत्‍या के आरोपित को फांसी की सजा सुनाई गई है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 05:21 PM (IST)
दुष्‍कर्म के बाद मासूम की हत्‍या के आरोपित को फांसी की सजा, जानें क्या है मामला
दुष्‍कर्म के बाद मासूम की हत्‍या के आरोपित को फांसी की सजा, जानें क्या है मामला

गुमला, संवाद सहयोगी। अपर सत्र न्यायाधीश वन लोलार्क दूबे की अदालत ने बुधवार को पांच वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने और साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से गला दबाकर उसकी हत्या करने के मामले में अभियुक्त बंधन उरांव को फांसी की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद इस घटना को रेयर ऑफ रेयरेस्ट करार देते हुए सजा ए मौत का एलान किया। सजा सुनने के बाद अभियुक्त बंधन उरांव ने अपने को निर्दोष बताया है।

loksabha election banner

फैसला सुनाने के लिए बैठी अदालत में संस्कृत का श्लोक पढ़ते हुए अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि जहां नारी की पूजा नहीं होती है, वहां देवता का भी वास नहीं होता है। फिर उन्होंने आरोपित से खाना खाने, तबीयत ठीक होने आदि की बातें पूछी उसके बाद सजा सुनाए जाने की कार्रवाई आरंभ की।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता राघव सिंह से अपने पक्ष में बोलने के लिए कहा, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अभियुक्त युवा है। इसे जीवन जीना है, इसलिए कम से कम सजा देने का वह अदालत से गुहार लगाते हैं। अभियाेजन पक्ष के अपर लोक अभियोजक चंपा कुमारी ने कहा कि पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करना सबूत को मिटाने के लिए गला दबाकर नृशंस हत्या करना जघन्य अपराध है। यह घटना दुर्लभ अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए वह न्यायालय से अनुरोध करती हैं कि ऐसे अपराधी को फांसी की सजा दी जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एक लोलार्क दूबे ने आरोपित बंधन उरांव को फांसी की सजा सुनाई।

अदालत ने भादवि की धारा 302 के तहत मृत्यु दंड और दस हजार रुपये का नकद अर्थदंड सुनाया जबकि धारा 376 ए-बी के तहत मृत्यु दंड व दस हजार रुपये का अर्थ दंड की सजा सुनाई । मामले में 11 लोगों के द्वारा गवाही दी गई थी। 23 सितंबर, 2018 को घटी इस घटना के महज दो माह बाद ही पुलिस ने 22 नवंबर, 2018 को आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप पत्र दाखिल होने के महज ढ़ाई माह में ही अदालत ने फैसला सुनाया है।अदालत ने पोस्को अधिनियम के नियम सात के तहत तीन लाख रुपये अंतरिम प्रतिकर देने व दप्रसं की धारा 357 ए- 3 के तहत भी प्रतिकर देने की अनुशंसा जिला विधिक सेवा प्राधिकार से की है।

जानें क्या है मामला
घटना 23 सितंबर, 2018 की है। बंधन उरांव बच्ची को गोद में लेकर घूम रहा था। इसी बीच, वह उसे अपने घर में ले गया तथा बच्ची के साथ दुष्कर्म किया, चिल्लाने पर गला मरोड़कर हत्या कर दी। घटना के बाद बंधन ने बच्ची की मां के पास जाकर बच्ची के सो जाने की जानकारी दी। थोड़ी देर बाद जब मां बच्ची को देखने गई तो देखा कि बच्ची मरी पड़ी है। रक्तस्राव व बदहाली देखकर आस पास के लोगों को आवाज देकर बुलाया। यह देख बंधन उरांव वहां से भाग गया। जिसे ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। बच्ची की मां के बयान पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.