Move to Jagran APP

लिटाटोली गांव के बुजुर्गों व युवाओं को गांव के विकास की आस

जागरण संवाददाता गुमला झारखंड में आदिवासी समाज के महानायक के रुप में चर्चित रहे स्व. का

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 08:20 PM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 08:20 PM (IST)
लिटाटोली गांव के बुजुर्गों व युवाओं को गांव के विकास की आस
लिटाटोली गांव के बुजुर्गों व युवाओं को गांव के विकास की आस

जागरण संवाददाता, गुमला : झारखंड में आदिवासी समाज के महानायक के रुप में चर्चित रहे स्व. कार्तिक उरांव के पैतृक गांव लिटाटोली गुमला मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर रांची-गुमला मुख्य मार्ग पर स्थित है। गांव की आबादी करीब आठ सौ है। गांव के एक-एक बच्चे को स्व. कार्तिक उरांव ने यह आस जगाई थी कि गांव का विकास होगा। अच्छी सड़कें होंगी, अच्छा स्कूल होगा, पीने के लिए स्वच्छ पानी होगा। इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र होगा। लेकिन 8 दिसंबर 1981 में स्व. कार्तिक उरांव के निधन के बाद सब सपना जैसा लगने लगा है। उनके निधन के करीब 40 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी इस गांव के युवाओं व बुजुर्गों में एक उम्मीद है कि स्व. कार्तिक उरांव के कहे हुए कथन सत्य होंगे। इस गांव का विकास करने के लिए सांसद समीर उरांव ने इसे गोद लिया तो ग्रामीणों ने फिर एक बार विकास के सपने देखने शुरू कर दिए। लेकिन गांव को गोद लिए एक वर्ष से ज्यादा हो गया लेकिन विकास के नाम पर एक ईंट तक गांव में नहीं लगी। जिला प्रशासन व नेताओं की उदासीनता को देखते हुए स्व. कार्तिक उरांव का पुत्र तेज प्रकाश उरांव भी अब गांव छोड़कर रांची में रहने लगे हैं। गांव में सिर्फ स्व कार्तिक उरांव के भाई के परिवार ही रहते हैं।

loksabha election banner

एक गरीब किसान परिवार में जन्म लेकर शिक्षा और शोहरत की ऊंचाईयों को छूने वाले कार्तिक उरांव का जीवन एक कर्मयोगी की तरह था। वे हमेशा समाज और राष्ट्र के प्रगति के लिए सोचते थे। जनजातीय क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया था। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, बिहार हिल एरिया इरीगेशन कारपोरेशन की स्थापना और एचईसी को नया आयाम प्रदान कर विकास का इतिहास रचने वाले व्यक्ति का गांव आज भी उपेक्षित है। विकास के नाम पर सामुदायिक भवन और आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कार्य शुरू किया गया लेकिन कार्य ने पूरा होने से पहले ही दम तोड़ दिया। स्व. कार्तिक उरांव के पोते अनिल उरांव ने बताया कि सामुदायिक भवन का निर्माण लगभग दस वर्ष पहले आरंभ हुआ था। अब तक अधूरा है। इसी तरह आंगनबाड़ी केन्द्र भी दस वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ है। अधूरा भवन में झाड़ी उग आई हैं। एक स्वास्थ्य उपकेंद्र का अपना भवन नहीं है। यहां एक नर्स के भरोसे ही पूरा गांव है। इस उपकेंद्र में एक भी डाक्टर की तैनाती नही की गई है। नर्स भी यहां सिर्फ चार घंटे की बैठती है। गांव के चापानल खराब है। आठ सौ की आबादी वाला गांव सिर्फ तीन ही कुएं के पानी पर निर्भर है। यहां पेयजल का दूसरा विकल्प नहीं है। बहरहाल, स्व. कार्तिक उरांव की जयंती शुक्रवार को हो, इस जयंती समारोह की तैयारी को लेकर उनका पोता व उनके परिवार के सदस्य समाधी स्थल की साफ सफाई में लग गए है। कोरोना काल की वजह से सादगी पूर्ण तरीके से उनका जयंती समारोह का आयोजन दो वर्षों से किया जा रहा है। शुक्रवार को भी सादगी पूर्ण ही आयोजन होगा।

----

गांव में कई दिग्गज पहुंचे लेकिन विकास अब भी नहीं

स्व. कार्तिक उरांव गांव में तत्कालीन राज्यपाल सैयद रजी अहमद, राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सहित कई दिग्गज आ चुके हैं। इस दौरान गांव को आदर्श बनाने का भी संकल्प भी लिया गया लेकिन कई ऋतुएं आई और चली गई लेकिन लिटाटोली गांव आज भी उपेक्षित है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.