उपेक्षा का दंश झेल रहा है मिरचाईपाट
संवाद सूत्रडुमरी डुमरी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 12 किमी. दूर छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मिरचाईपाट गांव उपेक्षा का दंश झेल रहा है। गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। इस गांव में कोरवा मुंडा यादव जाति के लगभग 30 परिवार निवास करते हैं। मरी गुमला। डुमरी प्रखण्ड मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ सीमा से सटे मिरचाईपाठ ग्राम में कोरवा मुंडा व यादव जाति के लगभग 30 परिवार 150 सदस्य निवास करते हैं। यहां के लोग डाडी का दूषित पानी पीने को विवश हैं। यह डाडी भी गांव से एक किमी. दूरी पर है। गांव में सरकारी सुविधाएं कहीं देखने को नहीं मिलती है। ग्रामीण भी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से
संवाद सूत्र, डुमरी : प्रखंड मुख्यालय से लगभग 12 किमी. दूर छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मिरचाईपाट गांव उपेक्षा का दंश झेल रहा है। गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। इस गांव में कोरवा, मुंडा, यादव जाति के लगभग 30 परिवार निवास करते हैं। मरी, गुमला। डुमरी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ सीमा से सटे मिरचाईपाठ ग्राम में कोरवा, मुंडा व यादव जाति के लगभग 30 परिवार 150 सदस्य निवास करते हैं। यहां के लोग डाड़ी का दूषित पानी पीने को विवश हैं। यह डाडी भी गांव से एक किमी. दूरी पर है। गांव में सरकारी सुविधाएं कहीं देखने को नहीं मिलती है। ग्रामीण भी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। गांव में सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी एवं चिकित्सा जैसे मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। पहले एक प्राथमिक विद्यालय चलता था। कितु शिक्षक के देहांत हो जाने के बाद से विद्यालय का संचालन भी नहीं हो रहा है। सरकार ने शौचालय बना दिया लेकिन पानी की सुविधा नहीं है। गांव के लोग मकई, गोंदली चावल, टाऊ, आलू व अन्य बरसाती फसल उगाकर अपना पेट पालने को मजबूर हैं। यादव परिवार गाय, भैंस का दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। गांव के कई लोगों को वृद्धापेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मिरचाईपाट के नाम से जो योजनाएं स्वीकृत होती है उन योजनाओं को करनी गांव में बना दिया जाता है। गांव के लोगों को मतदान करने के लिए चार किमी. की दूरी तय करना पड़ता है। इस गांव के विकास के लिए न तो पदाधिकारी और न ही जनप्रतिनिधियों ने कोई पहल किया। यहीं कारण है कि सरकार बदला, समय बदला लेकिन गांव के हालात नहीं बदले ।