शहीद समीर उरांव के पिता ने कहा : जरूर करें मतदान
जागरण संवाददातागुमला देश की आंतरिक सुरक्षा के खातिर मैनें अपना बेटा खोया है। मुझ़े बेटा खाने का गम नहीं बल्कि गर्व है। मेरे बेटा ने देश की सुरक्षा के खातिर अपने प्राण न्योछावर किए। लोगों को चैन से जीने और सोने देने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है। जब देश और लोकतंत्र रहेगा तो लोग भी रहेंगे। इसलिए लोकतंत्र की रक्षा और उसकी मजबूती के लिए देश के हर नागरिकों को मतदान करना चहिए। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सलियों से मुठभेड़ करते हुए सीने में गोली खाकर शहीद होने वाले सीआरपीएफ के जवान समीर उरांव के पिता दरकू उरांव ने अपनी मन की बात कही। बुधवार को बनालात बाजार टांड़ में दरकू ने बताया कि उसके तीन पुत्र थे। पहले पुत्र की मौत बीमारी से हो गई थी। दूसरा पुत्र शहीद हो गया। उसका गां
गुमला : देश की आंतरिक सुरक्षा की खातिर मैने अपना बेटा खोया है। मुझे बेटा खोने का गम नहीं बल्कि गर्व है। मेरे बेटे ने देश की सुरक्षा की खातिर अपने प्राण न्योछावर किए। लोगों को चैन से जीने और सोने देने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है। जब देश और लोकतंत्र रहेगा तो लोग भी रहेंगे। इसलिए लोकतंत्र की रक्षा और उसकी मजबूती के लिए देश के हर नागरिकों को मतदान करना चाहिए। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सलियों से मुठभेड़ करते हुए सीने में गोली खाकर शहीद होने वाले सीआरपीएफ के जवान समीर उरांव के पिता दरकू उरांव ने अपने मन की बात कही। बुधवार को बनालात बाजार टांड़ में दरकू ने बताया कि उसके तीन पुत्र थे। पहले पुत्र की मौत बीमारी से हो गई थी। दूसरा पुत्र शहीद हो गया। उसका गांव भी नक्सल प्रभावित रहा है। यहां नक्सलियों के भय से कोई बोलता नहीं था। मेरा बेटा सीआरपीएफ का जवान बना और नक्सलियों से डट कर मुकाबला किया। अब इस क्षेत्र में शांति हो गई है। भय नहीं है। पुलिस पिकेट बन गया है। इसलिए मतदान करने जाना है।