मौसम की बेवफाई को भी मात दे रहा है मनपुरन
रमेश कुमार पाण्डेयगुमला जिस दिन मतदान होगा उस दिन हम अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चुनाव की घोषणा से वाकिफ हैं। मतदान करने जरूरत जाएंगे। उससे पहले हम अपने घर परिवार के आर्थिक उन्नति के लिए खेतों में काम कर रहे हैं। खेती ही जीने का सहारा बना हुआ है। गुमला प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव रकमसेरा में पहले से बना एक पुराना डैम है। डैम में वर्षा का पानी जमा होता है। डैम में चेकडैम भी बनाया गया है जो डैम के अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल देता है। उसी डैम से पाइप बिछाकर और मशीन लगाकर अपने खेतों में सब्जी की फसल लगाया हूं। यह कहना है कि गांव के किसान मनपुरन हजाम का। मनपुरन युवा है। मेहनती है। उनके खेत में बोदी भींडी करेला टमाटर लौकी्र आदि की फसलें लहलहा रही है। लौकी में फुल ल
गुमला : गुमला प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव रकमसेरा में पहले से बना एक पुराना डैम है। डैम में वर्षा का पानी जमा होता है। डैम में चेकडैम भी बनाया गया है जो डैम के अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल देता है। उसी डैम से पाइप बिछाकर और मशीन लगाकर अपने खेतों में सब्जी की फसल लगाया हूं। यह कहना है कि गांव के किसान मनपुरन हजाम का।
मनपुरन पढ़ा-लिखा नहीं है इसका उसे अफसोस है, पर है मेहनती। उनके खेत में बोदी भींडी करेला, टमाटर, लौकी आदि की फसलें लहलहा रही है। लौकी में फुल लगना आरंभ हो गया है लेकिन बेवफा मौसम उनकी मेहनत पर पानी फेर दे रहा है। फिर भी वे हार मानने को तैयार नहीं है। जहां फसल लगी है उसके बगल के टीले पर मनपुरन ने एक तंबू गाड़ रखा है। प्लास्टिक बिछा रखा है। वहीं रहना और खाना पीना होता है। ऐसा इसलिए कि मवेशियों से फसलों की रक्षा की जा सके। मनरखन कहते हैं कि खेती बारे में विशेष ध्यान इसलिए दे रहे हैं ताकि बच्चों को पढ़ा लिखा सके। खुद तो पढ़े नहीं है जिसका उन्हें अफसोस है। नहीं पढ़ने लिखने के कारण दुकानदार से मांगते हैं कोई खाद तो दे देता है दूसरा खाद। नहीं पढ़ने के कारण होते हैं ठगी के शिकार। इसलिए उन्होंने अपने बेटा बेटी को पढ़ाने लिखाने की ठान ली है। बेटी लक्ष्मी कुमारी का नामांकन गुमला के कस्तूरबा बालिका विद्यालय में कराया है। वह पढ़ने-लिखने में तेज है। वह अपने बेटा को फिलहाल मुरकुंडा स्कूल में पढ़ा रहा है। वे चाहते है कि शिक्षा के अभाव में उन्हीं की तरह उनका बेटा-बेटी भी अज्ञानता का शिकार न हो जाए।
मनरखन ने कहा उत्पादित सब्जियों को बाजारों में पहुंचाते हैं। गुमला मुरकुमंडा के बाजारों में सब्जी ले जाकर बेचते थे। इस बार सरकार ने कोयल नदी के जोला घाट पर दुबारा पुल बनवा रही है। सड़क का निर्माण हुआ है। आने-जाने की सुविधा बड़ी है। इसलिए अब कुम्हारी बाजार में भी सब्जी ले जाकर बेचने का काम करते हैं ताकि आर्थिक स्थिति सुधर जाए और गरीबी से उबर जाऊं। बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिला सकूं। समाज के लोगों को खेती करने के लिए प्रेरित कर खुशहाल गांव बनाने का काम करें।