देश नेता नहीं किसान चलाते हैं : अशोक भगत
विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि देश का संचालन किसान करते हें नेता नहीं। सरकार चाहे जिसकी हो किसान ही इस देश के भाग्य निर्माता है अन्न दाता है। मंगलवार को सालम नवाटोली कृषि प्रक्षेत्र में जिला कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित जिला स्तरीय रबि कार्यशाला सह तकनीकी सप्ताह का शुभारंभ करते हुए पद्मश्री ने उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में कहा गया है कि कृषि करने वाला उत्तम पुरुष होता है। उसके बाद व्यापार करने वालों का नंबर आता है। तीसरा स्थान नौकरी करने वालों का है और सबसे अंतिम स्थान भीख मांगने वालों का है। लेकिन परिस्थितियां बदली। मानसिकता भी बदल गई।
गुमला : विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि देश का संचालन किसान करते हैं नेता नहीं। सरकार चाहे जिसकी हो किसान ही इस देश के भाग्य निर्माता है अन्न दाता है। मंगलवार को सालम नवाटोली कृषि प्रक्षेत्र में जिला कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित जिला स्तरीय रबि कार्यशाला सह तकनीकी सप्ताह का शुभारंभ करते हुए पद्मश्री ने उक्त बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि हमारे समाज में कहा गया है कि कृषि करने वाला उत्तम पुरुष होता है। उसके बाद व्यापार करनेवालों का नंबर आता है। तीसरा स्थान नौकरी करनेवालों का है और सबसे अंतिम स्थान भीख मांगने वालों का है। लेकिन परिस्थितियां बदली। मानसिकता भी बदल गई। नौकरी को प्राथमिकता दी गई। पैसा कमाने की होड़ लग गई। कृषि की लगातार उपेक्षा होने लगी कहा कि पैसा कमाना हे खूब कमाओ। लेकिन लोगों को याद रखना चाहिए कि पैसा खाया नहीं जाता। पैसे से भूख नहंी मिटती। अब स्थिति यह आ गयी की सरकार सबों को नौकरी दे नहीं सकती। इसलिए भूख मिटाने के लिए अन्न की जरूरत होती है। कहा कि दूसरों को ठगते ठगते खेती और किसानों को भी ठगने का काम किया गया। शुद्ध अनाज मिलना मुश्किल हो गया। उन्होंने किसान कभी भी आत्महत्या नहीं करते। कहा कि इस देश का कल्चर ही एग्रीकल्चर है। आदिवासी किसान का अपना कल्चर है। खेती करने के लिए भट्ठा से भी लोग आ जाते हैं । उनका जीवन चक्र पशुपालन और खेत की देखभाल है। उन्होंने ¨चता जाहिर करते हुए कहा कि इस देश में जान बूझ कर ग्रामोद्योग काश्तकारी खेती और संस्कृति को नष्ट करने की साजिश रची गई। रसायनिक खाद से जमीन की उर्वरा शक्ति बर्बाद की गई। उन्हें गर्व है कि आदिवासियों ने खेती में गोबर का उपयोग करना नहीं छोड़ा। आदिवासियों ने जैविक खेती में विश्वास किया और यही जैविक खेती देश दुनिया की मांग हो गई है। कहा कि आदिवासियों ने हर्बल औषधीय के महत्व को समझा। लेकिन दुर्भाग्य है कि किसान और कृषि को पहले कभी एजेंडा में शामिल नहीं किया गया लेकिन संतोष इस बात की है कि सरकार पहली बार इसे एजेंडा में शामिल किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न सिर्फ किसानों की बात की है बल्कि उन्हें सलाना छह हजार रुपये का प्रोत्साहन राशि देने को बजट में शामिल किया है। आय दोगुना करने का सपना देखा है। हमारा विश्वास खेती परक उद्योग को खड़ा करने, किसानों को हुनरमंद बनाने, कौशल विकास करने आजीविका को बढ़ावा देने, बैंकों से प्रबंधन की बात सिखने की दिशा में अच्छे प्रयास हुए हैं भले ही खातों में पन्द्रह लाख रुपये आए या नहीं लोगों ने बैंक खाता खोलना सीख लिया है। किसानों को उनका मालिकाना हक मिलना चाहिए। विकास के लिए जान जरूरी है। ज्ञान केंद्र के रूप में जेएसएलपीएस से बिशुनपुर में एक्सीलेंस सेंटर खोले जाने की उन्होंने घोषणा की। उन्होंने सरकार से स्कूली पाठ्यक्रम में कृषि को शामिल करने की मांग की। उन्होंने देश और दुनिया की संस्कृति को बचाना है तो आदिवासी संस्कृति को बचाना होगा। विज्ञान का उद्देश्य चमत्कार करना नहीं लोगों की मानसिकता को बदलना होता है। इस अवसर पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशालय डॉ. जगरनाथ उरांव ने कहा कि युवाओं की दुनिया बदल रही है। गांव में अनाज पैदा होता है तब शहर में पहुंचता है। युवाओं से कृषि कार्य में अभिरूचि लेने की अपील की। उन्होंने मिट्टी जांच कराने की सलाह दी। इस कार्यक्रम को डाक्टर शंकर, डाक्टर ललित, डाक्टर रंजय ¨सह, आजीविका मिशन के मनीषा, आत्मा के सहायक निदेशक बंधनु उरांव, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी राकेश कुमार कनौज्जिया, जिला कृषि पदाधिकारी रमेश चन्द्र सिन्हा, नेतरहाट आवासीय विद्यालय के प्राचार्य डा संतोष कुमार ¨सह आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। जिला कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय सह प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय कुमार ने तकनीकी विस्तार और उसके उपयोग से आए बदलाव पर प्रकाश डाला। डाक्टर नीरज कुमार वैश्य ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर लाल सुरेन्द्र नाथ शाहदेव, जिला परिषद सदस्य सावित्री देवी, तेंबू उरांव, भिखारी भगत, कैलाश नाग, महेन्द्र भगत, एलडीएम एस के साय आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।