सभ्यता व संस्कृति को बचाने के लिए आगे आएं : भूषण
सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए आगे आएं : भूषण तिर्की
चैनपुर : बरवे उच्च विद्यालय के खेल मैदान में रविवार को आदिवासी सांस्कृतिक समागम कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक सह जिला झामुमो के अध्यक्ष भूषण तिर्की ने कहा कि आदिवासी नृत्य ही हमारी संस्कृति और सभ्यता की पहचान है। हमें इसे बचाना होगा। उन्होंने इस बात पर ¨चता व्यक्त किया कि वर्तमान समय में अपने पारंपरिक रीति रिवाज को हम आदिवासी भूलते जा रहे हैं। इसे बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार जाति और धर्म के नाम पर लड़ाना चाहती है। यह सरकार सरना और आदिवासियों के बीच भेद भाव पैदा करने की कोशिश कर रही है। राज्य में धर्मांतरण बिल लाकर हमें बांटने का काम किया जा रहा है। यह सरकार कहीं सीएनटी एसपीटी एक्ट में छेड़छाड़ तो कभी भूमि अधिग्रहण बिल और हाथी कोरीडोर के नाम पर आदिवासियों की जमीन हड़पना चाह रही है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि आने वाले लोक सभा और विधान सभा चुनाव में भाजपा को झारखंड से खदेड़ना होगा। डीन फादर पीटर तिर्की ने आदिवासी परंपरा और नृत्य को अपनी सांस्कृतिक पहचान की संज्ञा दी। इसे बचाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कई षडयंत्रकारी हमारे अस्मिता से खिलवाड़ करना चाहते हैं हमें सावधान रहना हेागा। एक सूत्र में बंध कर ही आदिवासी समाज की रक्षा कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में फादर राजेन्द्र तिर्की, सुशील दीपक ¨मज, ओलिभा कांता कुजूर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस आदिवासी समागम समारोह में 40 गांव के नृत्य मंडलियों ने भाग लिया जिन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में फादर प्रकाश कुजूर, सुबल कुजूर, नवीन कुजूर, हरदीनंद एक्का, रंधीर कुजूर, अल्बर्ट तिग्गा, राजेश लकड़ा, सिस्टर सुशीला, अनिता रोजी फादर विनोद, आगुस्तुस अजित, एनोसेंट, चोन्हस ¨मज आदि मौजूद थे।