राजेंद्र बाबू के कर्म स्थली फोरी में डेढ़ साल बाद भी सीएम की घोषणाएं नहीं उतरी धरातल पर
राजकीय आदिवासी विकास उच्च विद्यालय फोरी में मुख्यमंत्री ने चारदीवारी और खेल स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी, छात्रावास बनकर तैयार, बिजली की समस्या से नहीं रहते विद्यार्थी, फोरी में देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने किया था ¨चतन मनन
रमेश कुमार पांडेय : देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ.राजेन्द्र प्रसाद की कर्मभूमि रहा फोरी गांव में संचालित राजकीय आदिवासी उच्च विद्यालय परिसर में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित योजनाएं डेढ़ साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरी है। इसकी कसक ग्रामीणों, विद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों में देखी जा रही है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री की घोषणा का क्रियान्वयन होने में हो रहे विलंब पर असंतोष व्यक्त किया है और जिला के अधिकारियों से इस दिशा में पहल करने की मांग की है। यह विद्यालय भले ही आजादी के बाद स्थापित की गई थी। लेकिन इसके पूर्व का इतिहास गांव के लोगों के लिए गौरव का विषय बना हुआ है। 15 जून 2017 को राज्य के मुख्यमंत्री फोरी आए थे। उन्होंने आदिवासियों के कद्दावर नेता रहे स्व.कार्तिक उरांव के प्रतिमा का अनावरण किया था। समाजसेवी हंदु भगत के प्रयास से मुख्यमंत्री वहां आए। ग्रामीणों की सभा को संबोधित किया था। उसी दौरान राजेन्द्र बाबू और कार्तिक बाबू की कर्मभूमि फोरी में उदारता पूर्वक योजनाओं को धरातल पर उतारे जाने की घोषणा की थी। उन घोषणाओं में विद्यालय के छात्रावास की मरम्मत, विद्यालय के चारदीवारी का निर्माण और सुविधा संपन्न खेल स्टेडियम का निर्माण शामिल था। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विद्यालय में शिक्षकों की कमी दूर करने का भी निर्देश जारी किया था। लगभग डेढ़ साल बीत चुके हैं। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के निर्देश का आंशिक पालन करते हुए कुछ शिक्षकों का प्रतिनियोजन कर दिया। जिससे शिक्षकों की संख्या सात जरूर हो गई लेकिन इस विद्यालय में पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार नहीं आया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक अमरेन्द्र कुमार साहु ने बताया कि अभी भी इस विद्यालय में अंग्रेजी संस्कृत गणित और हिन्दी के शिक्षक नहीं हैं। मध्य विद्यालय से प्रतिनियोजित शिक्षक गणित पढ़ा रहे हैं वही विज्ञान विषय भी पढ़ा रहे हैं। शिक्षा का स्तर ऊंचा नहीं उठने के कारण इस बार मैट्रिक की परीक्षा में मात्र 52 प्रतिशत विद्यार्थी सफल हुए जबकि 48 प्रतिशत विद्यार्थी फेल हो गए। प्रधानाध्यापक कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र का यह विद्यालय विकास की चाह में प्रतीक्षारत है। लगभग 18 लाख रुपये की लागत से बने पचास शैय्या का छात्रावास का मरम्मत छह लाख रुपये से कराया गया है। लेकिन बिजली नहीं रहने के कारण विद्यार्थियों को छात्रावास की सुविधा नहीं मिल रही है। छात्रों के रहने और पढ़ने के लिए चौकी और टेबल कुर्सी की आपूर्ति भी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री को लाने वाले हन्दु भगत के प्रयास से इतना जरूर हुआ है कि प्रतियोजन में ही सही कुछ शिक्षक आए जरूर हैं। प्रधानाध्यापक का कहना है कि इस विद्यालय में गरीब और कमजोर छात्र पढ़ा करते हैं।
कभी चला करता था आश्रम विद्यालय
जब देश में आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी और अंग्रेजी हुकूमत जब स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार करने के लिए खोज रही थी उसी दौरान देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद इस गांव में आए थे और कुछ दिन यहां उन्होंने बिताया था। उस समय उन्होंने ¨चतन मनन किया था। लोगों को संगठित किया था और लोगों को कांग्रेस से जोड़ने का काम किया था। वे इस गांव में चल रहे आश्रम विद्यालय में ठहरे थे। लेकिन जिस भवन में राजेन्द्र बाबू का प्रवास हुआ था, उस भवन का अस्तित्व मिट गया है। आजादी के इतने वर्षो बाद भी सरकार ने उनकी स्मृति में राष्ट्रीय स्मारक बनाने का भी काम नहीं किया गया।
क्या चाहते हैं स्कूल के शिक्षक
समाज सेवी और पूर्व जिला परिषद सदस्य हन्दु भगत का कहना है कि आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र में फोरी उच्च विद्यालय को माडल विद्यालय बनाने और प्लसव टू की पढ़ाई कराने की जरूरत है। ऐसे करने से बने छात्रावास का उपयोग होगा। प्रधानाध्यापक अमरेन्द्र कुमार साहु इस विद्यालय में पांच सौ बच्चों के बैठने के लिए प्रशान बनवाए जाने की आवश्यकता महसूस करते हैं।
क्या कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेन्द्र पांडेय का कहना है कि उन्होंने विद्यालय की समस्याओं और योजनाओं की सूची लेकर प्रधानाध्यापक को अपने कार्यालय कक्ष में बुलाया है। प्रधानाध्यापक का प्रस्ताव मिलने के बाद संभावित विकास की योजनाओं की रूप रेखा तय की जाएगी। मुख्यमंत्री की घोषणा को धरातल पर उतारा जाएगा।