रामकुमार की हत्या के बाद से कृष्णा गोप के पीछे पड़ गई थी पुलिस
गुमला : अपराध और अपराधी का अंत तो होता ही है, लेकिन जिस तरह से पीएलएफआई के एरिया कम
गुमला : अपराध और अपराधी का अंत तो होता ही है, लेकिन जिस तरह से पीएलएफआई के एरिया कमांडर कृष्णा गोप मारा गया। उससे इस बात का खुलासा हुआ है कि क्षेत्र में पीएलएफआई को दिल से नहीं भय से समर्थन मिल रहा था। जैसे ही लोगों को मौका मिला वैसे ही कृष्णा गोप की हर गतिविधियों की जानकारी पुलिस को मिलने लगी थी। कृष्णा गोप की तलाश में पुलिस उस समय से पीछे पड़ गई थी जब सड़क निर्माण के काम में लगे मुंशी रामकुमार ¨सह की दिननदहाड़े हत्या हुई थी। रामकुमार की हत्या की खबर मिलने के बाद एसपी अंशुमान कुमार को पुलिस लाइन की बैठक बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा था। उसके बाद कृष्णा गोप की तलाश के लिए पुलिस ने कई छोटी-छोटी टीमों को गठन किया था और टीमों को सक्रिय भी किया था। पुलिस की टीम सर्च ऑपरेशन चला रही थी। निगरानी खुद एसपी कर रहे थे। टीम को इनपुट देकर निर्देशित कर रहे थे। मुर्गी कोना नरसंहार और सेमरटोली पहाड़ की मुठभेड़ के बाद पीएलएफआइ के संगठन में जहां कृष्णा गोप का कद बढ़ता चला गया था वहीं रामकुमार की हत्या के बाद उसे सबजोनल कमांडर प्रोन्नति मिलने की खबरी छनकर पुलिस तक पहुंच रही थी। इसलिए एसपी ने कृष्णा गोप को ¨जदा या मुर्दा पकड़ने के लिए ठान लिया था। गुरुवार की शाम में एसपी को यह सूचना मिल गई थी कि कृष्णा गोप, याकुब केरकेट्टा और तिलकेश्वर गोप के साथ बोंडेकेरा गांव में बैठक करने वाला है। वह अपने कुछ विश्वस्त साथियों के साथ उसी गांव में आकर ठहरने वाला है। एसपी ने कई सर्च आपरेशन का गठन कर लिया था। रात गहराने के साथ ही कई टीमें कृष्णा गोप की खोज में निकल पड़ी थी। कृष्णा गोप बोंडेकेरा गांव में सुनील बाड़ा की बारी में जोभी दोहर नामक खेत में प्लास्टिक की चटाई और चादर बिछाकर सो रहा था। उसके आजू बाजू में पांच छह उग्रवादी पहरेदारी कर रहे थे। बनी रणनीति के तहत तीन दिशाओं से पुलिस ने सर्च अभियान चलाया। बारी के नजदीक पहुंचते ही कृष्णा गोप की रखवाली करनेवाले उग्रवादियों को पुलिस के जवान और अधिकारी आते हुए दिखाई पड़े। रात के अंधेरे के कारण एएसआइ बबलू बेसरा और चार पांच जवान उग्रवादियों के पहुंचने में कामयाब हो गए थे। उग्रवादियों ने पूछा कौन तब तक पुलिस के जवानों ने ओम प्रकाश पाठक नामक उग्रवादी को धर दबोचा। तब तक कृष्णा गोप की नींद खुल चुकी थी। कृष्णा जब तक हथियार उठाता तब तक पुलिस के जवान उसके हाथ पकड़ चुके थे। नोकझोंक के दौरान कृष्णा द्वारा पुलिस को निशाना बनाकर गोली चलानी की योजना विफल हो गई और उसके ही पिस्तौल की गोली उसके ही कनपटी और सिर को बेदते हुए पार हो गई। कृष्णा वहीं ढेर हो गया। मारपीट के अभियुक्त से कृष्णा का जीवन आरंभ हुआ था और पीएलएफआई का एरिया कमांडर से जोनल कमांडर बनने की प्रक्रिया के दौरान उसकी आपराधिक जीवन का अंत हो गया। एसपी अंशुमान कुमार कहते हैं कि जो उग्रवादी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे उनकी खातमा करने की योजना बनायी जा चुकी है। पुलिस लगातार आपरेशन चला रहा है। बचे हुए उग्रवादी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे तो कृष्णा गोप की तरह मारे जाएंगे।