चुगलू नदी पर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण नहीं होगा व्यवहारिक
जागरण संवाददाता गुमला गुमला प्रखंड के चुगलू गांव में नदी पर बन रहे पुल को लेकर उत्पन्न वि
जागरण संवाददाता, गुमला : गुमला प्रखंड के चुगलू गांव में नदी पर बन रहे पुल को लेकर उत्पन्न विवाद और उच्च स्तरीय पुल बनाने की मांग के परिपेक्ष्य में उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा द्वारा गठित जांच टीम में वहां संभावनाओं का पता लगाने का प्रयास किया। जांच टीम के एक सदस्य ने अपना नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि चुगलू नदी पर उच्च स्तरीय पुल बनाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि मात्र 1300 की आबादी और एक गांव के आवागमन के लिए उच्च स्तरीय पुल बनाना उचित नहीं प्रतीत होता। सबसे बड़ी बात यह है कि नदी के दोनों ओर रैयती जमीन है। रैयती जमीन वाले लोग पुल निर्माण के लिए जमीन देने में आनाकानी कर रहे हैं। उच्च स्तरीय पुल बनाने के लिए चुगलू नदी के दोनों ओर रैयती जमीन का अधिग्रहण करना होगा। साथ ही सड़क के लिए भी जमीन का अधिग्रहण करना पड़ेगा। जमीन अधिग्रहण के लिए सरकारी मुआवजा का भुगतान भी करना होगा जबकि उच्च स्तरीय पुल का निर्माण तभी संभावना होगी जब आवागमन की व्यापक संभावना हो। टोटो से पुल तक जाने के लिए सड़क नहीं है। सिर्फ पगडंडी है। व्यवसायिक वाहनों का परिचालन नहीं होता है। छोटे वाहनों का किसी तरह परिचालन किया जाता है जिसमें मोटरसाइकिल ट्रैक्टर चलते हैं। जांच दल ने ग्रामीणों से बातचीत की। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सिर्फ आने जाने के लिए साधारण पुल की जरूरत है। दो चक्का और चार चक्का का वाहन चलने लगे तो बीमार पड़ने की स्थिति में रोगियों को अस्पताल ले जाना संभव हो सके। इसलिए जो पुल बन रहा है उससे भी उन लोगों का काम चल सकता है। ग्रामीणों का कहना था कि उच्च स्तरीय पुल बनाने की बात करना न नौ मन राधा को तेल होगा और न राधा नाचेगी वाली कहावत को चरितार्थ करता है। जांच दल में भूमि सुधार उप समाहर्ता सुषमा नीलम सोरेंग, जिला योजना पदाधिकारी मोनिका रानी टूटी, ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग के कार्यपालक अभियंता अमरेन्द्र कुमार एवं अन्य लोग शामिल थे। जांच दल ने 14 अक्टूबर को जांच की है। जांच प्रतिवेदन उपायुक्त को सौंप दिया जाएगा।