किसानों की जमीन हड़पने की सरकार की साजिश नहीं होगी कामयाब: दयामनी बारला
आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की संयोजक दयामनी बारला ने कहा है कि किसानों की जमीन हड़पने की राज्य सरकार की साजिश कभी भी सफल नहीं होगी। शुक्रवार को मंच द्वारा कामडारा प्रखंड मुख्यालया में निकाली गई रैली और हुई सभा में शामिल लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए दयामनी बारला ने यह संकल्प व्यक्त किया। कहा कि हमारे पूर्वजों ने सांप बिच्छु बाघ भालू जैसे खतरनाक जानवरों से लड़कर झारखंड की धरती को आबाद किया है। जल जमीन और जंगल आदिवासी मूलवासी समुदाय के परंपरागत धरोहर और सुरक्षा कवच हैं। वन संपदा बालू पत्थर गिट्टी मिट्टी पर इनका मालिकाना हक है। उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा
कामडारा: आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की संयोजक दयामनी बारला ने कहा है कि किसानों की जमीन हड़पने की राज्य सरकार की साजिश कभी भी सफल नहीं होगी। शुक्रवार को मंच द्वारा कामडारा प्रखंड मुख्यालय में निकाली गई रैली और हुई सभा में शामिल लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए दयामनी बारला ने यह संकल्प व्यक्त किया। कहा कि हमारे पूर्वजों ने सांप, बिच्छु, बाघ भालू जैसे खतरनाक जानवरों से लड़कर झारखंड की धरती को आबाद किया है। जल, जमीन और जंगल आदिवासी मूलवासी समुदाय के परंपरागत धरोहर और सुरक्षा कवच हैं। वन संपदा , बालू पत्थर, गिट्टी मिट्टी पर इनका मालिकाना हक है। उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा तैयार जमीन को राज्य की सरकार हड़पने के लिए नित नया हथकंडा अपना रही है। भूमि बैंक के नाम पर जमीन लेकर पूंजीपतियों को देना चाहती है। सरकार औद्योगिकरण का हवाला दे रही है। लेकिन जब तक दयामनी ¨जदा है तब तक सरकार को एक इंच जमीन भी हड़पने नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासी मूलवासी किसानों के परंपरागत हक को छिन रही है। गैर मजरूआ आम और खास जमीन को भूमि बैंक के लिए आनलाइन हस्तांतरण कर रही है।इस सरकार के शासनकाल में किसानों को लूटा जा रहा। अंबानी की आय बढ रही है7 किसानों की माली हालत बिगड़ती जा रही है। कहा कि सरकार कौशल विकास की बात कर रही है लेकिन अहम सवाल यह है कि गरीब किसानों को इंटरनेट की जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है। उन्होंन कहा कि हमारे पर्यावरण को समाप्त करने की साजिश रखी गई है। राजू लोहरा ने कहा कि आनलाइन जमीन के लगान के भुगतान की व्यवस्था की गई है। किसानों के जमीन के अभिलेख में हेराफरी हो रही है। राज्य के 95 फीसद ग्रामीणों कंप्यूटर और इंटरनेट की जानकारी नहीं है। जिससे वे आपरेट नहीं कर सकते। अजीत गुड़िया ने कहा कि राज्य और केंद्र की सरकार पूंजीपतियों की सरकार है। इस सरकार से आदिवासी मूलवासी का विकास संभव नहीं है। पतरस टोपनो, तुलटन टोपनो, जलेश्वर लकड़ा, फागु टोपनो, ्रेमलता इंदवार आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। मंच का यह रैली पोकला बाजार टांड से सरकार विरोधी नारे लगते हुए प्रखंड कार्यालय पहुंचा। पुलवामा में शहीद हुए विजय सोंरेंग एवं अन्य सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। 14 सूत्री ज्ञापन राज्यपाल के नाम बीडीओ को सौंपा गया। इस कार्यक्रम में जान टोपनो, फेडरिक जान, मरकूस गुडिया, जयमसीह देमता, ईश्वरी प्रसाद, इग्नेस टोपनो, सिलास टोपनो, अजय अशोक टोपनो, चखनु टोपनो, ज¨सता टोपनो, हंदु टोपनो, चैतु उरांव, अजीत केरकेट्टा आदि मौजूद थे।