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पांच दिनों तक फिर सक्रिय रहेगा मानसून

गोड्डा जिले में गत सप्ताह मानसून काफी सक्रिय रहा था। इससे सभी प्रखंडों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश भी हुई। कहीं कहीं भारी बारिश के कारण लोगों को परेशानी भी उठानी पड़ी। जिले के मेहरमा और ठाकुरगंगटी सहित

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 07:58 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 05:07 AM (IST)
पांच दिनों तक फिर सक्रिय रहेगा मानसून
पांच दिनों तक फिर सक्रिय रहेगा मानसून

जासं, गोड्डा : गोड्डा जिले में गत सप्ताह मानसून काफी सक्रिय रहा था। इससे सभी प्रखंडों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश भी हुई। कहीं कहीं भारी बारिश के कारण लोगों को परेशानी भी उठानी पड़ी। जिले के मेहरमा और ठाकुरगंगटी सहित पथरगामा प्रखंड में नदियों के जल स्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी स्थिति भी उत्पन्न हुई।

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मौसम पूर्वानुमान में एक फिर आने वाले पांच दिनों में आसमान में बादल छाए रहने तथा हल्के दर्जे की वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डॉ. रजनीश कुमार राजेश ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में फिर से निम्न दबाव का क्षेत्र बना है जिससे आगामी पांच अक्टूबर तक जिले में बारिश और कहीं कहीं मेघ गर्जन के साथ साथ वज्रपात की भी संभावना है।

विगत 20 दिनों में गोड्डा जिले में फसलों की स्थिति बेहतर रही है। वर्षापात इंडेक्स हल्के गीले से मध्यम गीले स्थिति में आई है। कहा कि मौसम पूर्वानुमान एवं कृषि परामर्श सेवा की जानकारी के लिए किसानों को अपने मोबाइल के प्ले स्टोर में जाकर मेघदूत तथा ठनका गिरने से पूर्व की जानकारी प्राप्त करने के लिए दामिनी एप इंस्टाल करना चाहिए। इससे मौसम का सटीक पूर्वानुमान मिलता रहेगा।

इधर कोरोना बीमारी के गंभीर फैलाव को देखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार व्यक्तिगत स्वच्छता निश्चित अंतराल पर साबुन से हाथ धोना, मास्क का प्रयोग तथा एक दूसरे से दूरी बनाए रखने पर विशेष ध्यान देना है। मशीनी उपकरणों को भी काम में लेने पर उसे बार बार साबुन पानी से अच्छी तरह धोकर संक्रमण रहित रखें तथा स्वयं भी साबुन पानी से हाथ धोते रहें।

पशुशाला में प्रवेश द्वार पर साबुन पानी की बाल्टी तथा सैनिटाइजर अवश्य रखें। पशुशाला में आगंतुकों का प्रवेश वर्जित करें। गंदे हाथों से नाक, मुंह और आंख छूने से बचें। खेतों में अत्यधिक जल जमाव होने की स्थिति में जल निकासी का उचित प्रबंध करें। धान में झुलसा रोग का प्रकोप दिखाई देने पर हेक्साकोनाजोल का घोल बना कर छिड़काव करें।


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