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अगले दो दिनों में वज्रपात की चेतावनी

गोड्डा गोड्डा जिले के सभी प्रखंडों के लिए मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से सोमवार को विशेष

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 05:41 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 05:41 PM (IST)
अगले दो दिनों में वज्रपात की चेतावनी
अगले दो दिनों में वज्रपात की चेतावनी

गोड्डा : गोड्डा जिले के सभी प्रखंडों के लिए मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से सोमवार को विशेष बुलेटिन जारी की गई। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ रवि शंकर और मौसम पूर्वानुमान केंद्र के रजनीश प्रसाद राजेश की ओर से जारी संयुक्त बुलेटिन में कहा गया कि अगले दो-तीन दिनों तक जिले में मेघगर्जन और वज्रपात की संभावना बनी रहेगी। ठनका गिरने एवं इससे बचाव की पूर्व जानकारी प्राप्त करने के लिए सभी लोग अपने मोबाइल के प्ले स्टोर में जाकर दामिनी एप अवश्य इंस्टॉल करें। बताया कि वज्रपात और तूफान में सुरक्षित रहने के लिए जिला स्तर से एडवाइजरी जारी की गई है।

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विशेषज्ञ द्वय ने बताया कि किसी भी समय हमारे ग्रह पृथ्वी पर कम से कम 1800 आंधियां चल रही होती हैं और उनके साथ वज्रपात भी होता है। आंधी के दौरान घर व अन्य संरचना या एक हार्डटॉप पूरी तरह से आश्रय के लिए सुरक्षित है। गर्मी बढ़ने के साथ ही स्थानीय स्तर की नमी वाष्पीकृत होकर ऊपर उठती हैं, ऐसे में बादल के छोटे-छोटे पैचेज बन जाते हैं, जब ये बादल अलग अलग स्पीड में भ्रमण करते हैं तो बादल के ऊपर पॉ•िाटिव और बादल के नीचे नेगेटिव आयन के जमा होने से बादल मेघ गर्जन में बदल जाते हैं। ऐसे में जब बादल धरती के काफी करीब आता है तो जो हवा उसके लिए इंसुलेटर का काम कर रही होती हैं। वहीं चंद सेकेंड के लिए कंडक्टर का काम करता है। ऐसे में फ्रैक्शन ऑफ सेकंड के लिए हवा का तापमान सूर्य के तापमान से भी 4 गुणा से भी ज्यादा 28000 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। इसी गर्मी से हवा में तेज फैलाव होता है जिसकी आवाज हम मेघगर्जन में सुनते हैं। समुद्रतल से ऊंचाई के चलते झारखंड में वज्रपात का खतरा ज्यादा है। झारखंड की भौगोलिक बनावट के चलते हर साल यहां इस प्राकृतिक आपदा का कहर कुछ ज्यादा ही होता है। विशेषज्ञों की माने तो झारखण्ड की ऊंचाई समुद्रतल से 220 मीटर से 2200 मीटर है। ऐसे में बादल जब एक निश्चित ऊंचाई पर ही बनते है तो धरती और बादल की दूरी काफी कम होती है। ऐसे में झारखंड में वज्रपात की आशंका अधिक होती है। झारखंड में क्लाउड टू अर्थ लाइटनिग ज्यादा होती है जबकि मैदानी इलाके में क्लाउड टू क्लाउड लाइटनिग ज्यादा होती है।

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एक ही जगह पर दो बार नहीं गिरता वज्रपात बिजली अक्सर एक ही जगह पर बार-बार टकराती है। यह एक लंबी नुकीली वस्तु है। अमेरिका के एम्पायर स्टेट बिल्डिग को कभी बिजली की प्रयोगशाला के रूप में इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि वज्रपात यहाँ प्रति वर्ष लगभग 25 बार हिट होती है और एक ही तूफान के दौरान एक दर्जन बार हिट होने के लिए इसे जाना जाता है। वज्रपात केवल सबसे ऊंची वस्तुओं पर हमला करती है। वज्रपात अंधाधुंध गिरती है और यह आपको कहीं भी खोज सकती है। बिजली पेड़ के बजाय जमीन से भी टकरा सकती है आस-पास टेलीफोन के खंभे के बजाय कारें और इमारतों के बजाय पार्किंग स्थल पर भी गिर सकती है। बिजली कहीं भी गिर सकती है।यदि आप आंधी व तेज बारिश में फंस गए हैं और वहां आश्रय लेने के लिए कुछ भी नहीं तो वैसी स्थिति में पेड़ के नीचे रहना बेहतर नहीं है। पेड़ के नीचे आश्रय लेना सबसे बड़ी गलती है जो अक्सर लोग सकते हैं। यदि बिजली पेड़ से टकराती है तो संभव है कि पेड़ से सभी दिशाओं में ग्राउंड चार्ज फैल जाएगा। किसी पेड़ के नीचे आश्रय लेने के कारण बिजली व ठनका से हताहत होने का खतरा अधिक बनता है।


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