नवधा भक्ति से ही जीवन का कल्याण
गोड्डा : सदर प्रखंड के कन्हवारा गांव में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। कथा के चौ
गोड्डा : सदर प्रखंड के कन्हवारा गांव में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए दिनकराचार्य ने भक्त प्रह्लाद की कथा पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नवधा भक्ति से ही जीवन का कल्याण संभव है। भक्ति नौ प्रकार की बताई गई है। जिसमें संतों का संग, प्रभु नाम का कीर्तन करना, ठाकुर के प्रति समर्पण का भाव प्रगट करना आदि मुख्य है। जिसे ठाकुर के प्रति अनन्य भक्ति प्राप्त हो जाती है उसे इस नश्वर संसार में सभी तुच्छ ही नजर आते हैं। अपने आराध्य के प्रति असीम अनुराग रहने से उनकी मुरादें अवश्य पूरी होती हैं। मीराबाई, रसखान, सूरदास, अहिल्या, मीरा, शबरी, केवट आदि ने प्रभु के प्रति अटूट आस्था व विश्वास प्रगट किया तब उसे श्रीचरणों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। उसी प्रकार ध्रुव व प्रह्लाद के हृदय में बाल्यकाल से ही श्रीहरि के प्रति असीम अनुराग व भक्ति उत्पन्न हो गया था। उन्होंने कहा कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती है। यह शरीर विधाता का दिया हुआ सबसे अमूल्य उपहार है। इस शरीर का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है। जबकि लोग माया-मोह में फंसकर व्यर्थ गंवा रहे हैं। भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप प्रतापी दैत्य सम्राट थे। जिनके आतंक से तीनों लोक त्राहिमाम कर रहा था ऐसे समय में प्रह्लाद का प्रादुर्भाव हुआ और इस नन्हें बालक की भक्ति व निष्ठा के आगे किसी का कुछ नहीं चला। यहां तक कि होलिका का वरदान भी काम नहीं आया और हिरण्यकश्यप का भी सर्वश्व नाश हो गया। कथा के दौरान पारंपरिक भक्ति गीत की संगीतमय प्रस्तुति ने तो श्रद्धालुओं को भक्ति के सागर में गोता लगाने को विवश कर दिया। कथा में यजमान के रूप में पवन साह पत्नी शीला देवी के अलावा मुखिया परमानंद साह, सुबोध कापरी, अशोक कापरी, तपेश साह, परमानंद यादव, घनश्याम, विकास, चंद्रशेखर, सुजीत, गौरव, अजय, जयकांत, दिलीप कापरी, राहुल, जीतेंद्र साह, रोशन, प्रवीण, अशोक ¨सह, विनोद माल, गो¨वद साह, सुमित साह आदि की भूमिका सराहनीय रही।