बसंतराय क्षेत्र के 22 मौजा में गहराया सिचाई का संकट
बसंतराय क्षेत्र के 22 मौजा के किसानों की पारंपरिक सिचाई व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। क्षेत्र के किसान इसको लेकर आंदोलन के मुड में हैं। दरअसल गेरुआ नदी से बड़ी केनाल के माध्यम से नकचिरा नदी में पानी गिरता है। पानी का अधिक स्टाक करने के लिए इन नदी में हरदिया डैम का निर्माण किया गया है। यहां पानी को एकत्रित कर बसंतराय क्षेत्र के 22 मौजा के हजारों बीघा जमीन की सिचाई होती है।
गोड्डा : बसंतराय क्षेत्र के 22 मौजा के किसानों की पारंपरिक सिचाई व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। क्षेत्र के किसान इसको लेकर आंदोलन के मूड में हैं। दरअसल गेरुआ नदी से कैनाल के माध्यम से नकचीरा नदी में पानी गिरता है। पानी का अधिक स्टाक करने के लिए इस नदी पर हरदिया डैम का निर्माण किया गया था। यहां पानी को एकत्रित कर बसंतराय क्षेत्र के 22 मौजा के हजारों बीघा जमीन की सिचाई होती है। इससे किसान रबी एवं खरीफ फसल की अच्छी पैदावार लेते थे। पिछले दो वर्षों से गेरुआ नदी के उपरी भाग चकवा जंगल के पास चेकडैम बनाकर पानी को रोक दिया गया है। इस कारण गेरुआ नदी से पानी आना कम हो गया है।
किसानों ने इस संबंध में पदाधिकारी व जन प्रतिनिधियों को भी ज्ञापन सौंपा। बावजूद किसी ने किसानों के लिए सिचाई सुविधा बहाल करने की दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं की। इन दिनों बसंतराय क्षेत्र के बड़हिया, रामपुर, महेशपुर, सुस्ती, बोदरा, डेरमा, जहाजकिता, देशबरग, चुटिया, पचुआकिता, जमनीकोला आदि मौजा का विशाल सिचित क्षेत्र अब पानी को तरस रहा है। ऐसे में इस बार किसानों ने पूरी तरह सोच- विचार कर समस्या का निदाने करने वाले जनप्रतिनिधि को ही अपना नेता चुनने की बात करने लगे हैं।
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क्या कहते हैं किसान :
उरकुसिया के ग्राम प्रधान शंभु चौधरी, देशबरग के प्रधान ऋषितोष झा, अजय चौधरी, विभाकर चौधरी, गौरीशंकर झा, राजेन्द्र चौधरी, देवनारायण खां, मुन्ना सिंह, कुशेश्वर ठाकुर, वकील साह, राजेश साह, कपिलदेव साह आदि का कहना है कि इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी खेती पर ही निर्भर है। बावजूद पारंपरिक सिचाई व्यवस्था को बरकरार रखने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। जबकि कई बार क्षेत्र के किसानों ने स्थानीय विधायक अमित मंडल से गुहार लगाई। ग्रामीणों ने कहा कि गेरुआ नदी से बालू उठाव पर रोक नहीं लगी रही है और इसपर बिना उपयोग के ही गलत जगह पर चेकडैम बनाकर पानी को रोकने की साजिश रची गई है। पानी रोकने की इस साजिश के कारण हजारों बीघा धान की फसल सिचाई के अभाव में बर्बाद हो रही है।
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चकवा जंगल के बने चेकडैम का प्रस्ताव भी ग्रामीणों की ओर से दिया गया था। इसमें विभागीय लापरवाही के कारण पानी का बहाव ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है। चुनाव आदर्श संहिता के कारण अभी काम नहीं हो पाया। चुनाव के बाद इसे किसानों के हित में किया जाएगा। चेकडैम की तकनीकी खामियों को दूर कर वंचित किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाएगा। - अमित मंडल, विधायक, गोड्डा।