पशुपालन विभाग में 6.70 करोड़ की योजनाएं लटकीं
संवाद सहयोगी गोड्डा पशुपालन विभाग की करीब 6.70 करोड़ की योजनाएं अधर में लटक गई है
संवाद सहयोगी, गोड्डा : पशुपालन विभाग की करीब 6.70 करोड़ की योजनाएं अधर में लटक गई हैं। विगत एक माह से पशुपालन पदाधिकारी का पद रिक्त रहने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है। अगर समय रहते पहल नहीं हुई तो वित्तीय वर्ष के समाप्त होते ही वह राशि सरेंडर हो जाएगी। वित्तीय समाप्त होने में करीब एक माह ही शेष हैं।
जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. सदानंद महतो 31 जनवरी 2019 को सेवानिवृत हो चुके हैं। इसके बाद यह पद रिक्त पड़ा है। स्वपन रजक को दैनिक कार्यों के निष्पादन के लिए अधिकृत किया गया लेकिन उन्हें वित्तीय प्रभार नहीं मिल पाया। इस वजह से योजनाएं अधर में लट गई हैं। बकरा विकास योजना के तहत 1.37 करोड़, सुकर विकास योजना के तहत 62 लाख, बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना के तहत 2.10 करोड़, बायलर कुक्कट योजना के तहत 75.60 लाख, वाणिज्यक लेयर बर्ड वितरण योजना के तहत 95 लाख का आवंटन विभाग को मिला हुआ है। इन योजनाओं के लिए विभाग ने आवेदन भी मांगा था। काफी संख्या में लोगों ने आवेदन जमा हुआ लेकिन डीएएचओ नहीं रहने के कारण इसे क्रियान्वित नहीं किया जा सका। जब तक किसी को यहां का वित्तीय प्रभार नहीं दिया जाएगा तक तक ये योजनाएं आगे नहीं बढ़ पाएंगी।
जिले में पशु चिकित्सकों को भारी कमी : जिले में पशु चिकित्सकों व अन्य तकनीकी सहायकों की भारी कमी है। इस कारण पशुपालकों को विभाग से कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में पशु चिकित्सक के 26 पद स्वीकृत हैं जिनकी जगह मात्र 13 ही कार्यरत हैं। इनमें जिला पशुपालन पदाधिकारी का भी पद रिक्त है। पशुधन सहायक के 18 स्वीकृत पद की जगह दो ही कार्यरत हैं जबकि प्रौद्योगिकी सहायक के 16 की जगह दो कार्यरत है। जबकि पशुगणना-2012 के मुताबिक जिले में गोवंशीय पशुधन की संख्या 3.89 लाख, भैंस 60 हजार, बकरी 2.55 लाख 500 है। इस अनुपात में विभागीय व्यवस्था पशुपालकों की जरूरत को पूरी नहीं कर पा रही है। पशुपालकों का साफ कहना है विभाग से पशुपालक को कोई मदद नहीं मिलती है। समय पर चिकित्सक भी उपलब्ध नहीं हो पाते है। माकपा नेता डा. राधेश्याम चौधरी ने कहा कि सरकार का एक भी विभाग जनता और किसान और पशुपालकों की कसौटी पर खरा नहीं उतर पा रहा है।